कक्षा 9 विषय विज्ञान टॉपिक -मैटर या पदार्थ भाग दो

 कक्षा 9 विषय विज्ञान टॉपिक -मैटर या पदार्थ 

भाग दो




बर्फ से पानी कैसे  बनता है और पानी से भाप  कैसे बन जाती है 

मेल्टिंग पॉइंट , बोइलिंग पॉइंट, vaporization,  latent heat of vaporisation , evaporation क्या होता ह 

कपड़े गर्मियों में जल्दी सूख जाते हैं और सर्दियों में देरी से सूखते हैं

कूलर कैसे ठंडी हवा देता है  इस वीडियो में हम इन्हीं सवालों के जवाब देखेंगे


हम पार्ट वन में पढ़ चुके हैं कि मैटर की state  पार्टीकल की प्रॉपर्टी में अंतर के कारण होती हैं 

इसलिए जब इन प्रॉपर्टी में  चेंज होता है तो मैटर की स्टेट भी चेंज होती है 

मतलब मैटर सॉलि़ड से लिक्विड और लिक्विड से गैस में बदलता है और इसका उल्टा भी हो सकता हा

यानि गैस से लिक्विड और लिक्विड से सॉलिड 

 

टेंपरेचर चेंज करने पर मटर की  स्टेट पर क्या प्रभाव पड़ता है

टेंपरेचर इंक्रीज करने पर पार्टिकल्स की काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है इस वजह से पार्टिकल्स का मूवमेंट भी बढ़ जाता है   उनके बीच स्पेस भी बढ़ जाता है और मैटर सॉलिड स्टेट से  लिक्विड स्टेट में  चेंज होता है और लिक्विड स्टेट से गैसियस स्टेट में चेंज होता है इसी तरह टेंपरेचर कम करने पर गैसियस से लिक्विड स्टेट में और लिक्विड से सॉलिड स्टेट में चेंज हो जाता है 

वॉटर जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर सॉलि़ड स्टेट में और हंड्रेड डिग्री सेंटीग्रेड पर गैस स्टेट में रहता है

और  जीरो  से 100 के बीच  लिक्विड स्टेट होती है 



एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर वह मिनिमम टेंपरेचर जिस पर सॉलि़ड.  लिक्विड में बदलने लग जाता है उसे मेल्टिंग प्वाइंट कहते हैं 

मेल्टिंग प्वाइंट इंडिकेट करता है कि सॉलिड के पार्टिकल्स के बीच कितना  अट्रैक्शन फोर्स है यदि मेल्टिंग प्वाइंट ज्यादा है इसका मतलब है कि अट्रैक्शन फोर्स ज्यादा है और मेल्टिंग प्वाइंट कम है इसका मतलब है कि अट्रैक्शन फोर्स कम  है 

 

 

आइस का मेल्टिंग प्वाइंट है 273.15k

टेंपरेचर कि ऐसा यूनिट केल्विन है 

0c  273.15k

suvidha ke liye 0=273k

melting की प्रोसेस को फ्यूजन भी कहते हैं




लेटेस्ट हीट  के बारे में डिस्कस करेंगे

जब सॉलिड मेल्ट हो रहा होता है तो उसका टेंपरेचर इनक्रीस नहीं होता है क्योंकि जो एनर्जी उसे दी जा रही है वह उसके पार्टिकल्स के बीच में फोर्स आफ अट्रैक्शन है उसे ओवरकम करने के काम आता है वह एनर्जी उसके टेंपरेचर को इनक्रीस करने के काम नहीं आती है इसलिए सॉलिड से लिक्विड बदलते समय टेंपरेचर चेंज नहीं होता है जब तक कि पूरा solid-liquid में नहीं बदल जाता है इस दौरान दी गई ऊर्जा या एनर्जी लेटेंट हीट कहीं जाएगी 

 

लेटेंट हीट हिडन एनर्जी भी  कहते हैं क्योंकि यह बिकर  में जो कंटेंट है उसमें काम आ जाती है इससे बिकर का टेंपरेचर इनक्रीस नहीं होता

 

इसलिए जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर लिक्विड वॉटर मॉलिक्यूल की एनर्जी जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर ice मॉलिक्यूल की एनर्जी से ज्यादा होती है

1kg सॉलिड को एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर लिक्विड में बदलने के लिए जितनी एनर्जी की रिक्वायरमेंट होती है उसे लेटेंट हीट आफ फ्यूजन  कहेंगे 

 

एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर वह मिनिमम टेंपरेचर जिस पर लिक्विड गैसियस स्टेट में बदलने लग जाता है उसे मैटर का बोलिंग प्वाइंट कहा जाता है 

पानी का बोलिंग प्वाइंट है  100 c   373k

डिग्री सेंटीग्रेड टेंपरेचर की नॉर्मल मेजरिंग यूनिट है जबकि केल्विन एसआई यूनिट है

 

हिट इनक्रीस करने पर सॉलि़ड स्टेट लिक्विड स्टेट में बदल जाती है और अधिक हिट इनक्रीस करने पर लिक्विड स्टेट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाती है इसी तरह

 कुलिंग  करने पर गैसियस स्टेट लिक्विड स्टेट में और लिक्विड स्टेट सॉलि़ड स्टेट में चेंज हो जाती है

 

एक किलोग्राम लिक्विड को एटमॉस्फेरिक प्रेशर उसके बोलिंग प्वाइंट पर गैसियस स्टेट में चेंज करने के लिए जितनी एनर्जी की रिक्वायरमेंट होती है उस हीट  को लेटेंट हीट आफ वेपराइजेशन कहते हैं 

 

इसी लेटेंट हीट आफ वेपराइजेशन के कारण गैस पार्टिकल की एनर्जी लिक्विड पार्टिकल्स की एनर्जी से ज्यादा होती है सेम टेंपरेचर पर  कुछ कंपाउंड डायरेक्ट सॉलि़ड स्टेट से गैस स्टेट में और गैस स्टेट से सॉलि़ड स्टेट में चेंज हो जाते हैं उनके बीच में कोई इंटरमीडिएट  लिक्विड स्टेट नहीं आती है  इस प्रोसेस को सब्लीमेशन कहते हजैसे कपूर या अमोनियम क्लोराइड 

अमोनियम क्लोराइड की वेपर को ठंडा करने पर यह डायरेक्ट सॉलिड में चेंज हो जाती है 

इसी तरह सॉलिड अमोनियम क्लोराइड को हीट  देने पर यह डायरेक्ट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाता है

गैसियस स्टेट से डायरेक्ट सॉलि़ड स्टेट में चेंज होने की फिनेमेना को deposition कहते ह 

 

मैटर की स्टेट पर प्रेशर को चेंज करने की क्या प्रभाव है 

यदि प्रेशर को अप्लाई करते हुए टेंपरेचर को कम किया जाए तो

किसी भी गैस को लिक्विफाई किया जा सकता है इसके कुछ एग्जांपल्स हम देखते हैं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को हाई प्रेशर पर स्टोर किया जाता है

सॉलि़ड कार्बन डाइऑक्साइड डायरेक्ट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाती है यदि  pressure    १ एटमॉस्फेरिक प्रेशर से कम kar diya jaye इसी कारण सॉलि़ड कार्बन डाइऑक्साइड को ड्राई आइस भी कहते हैं 

 

गैस द्वारा लगाए गए प्रेशर को मेजर करने का यूनिट एटमॉस्फेयर है 

जबकि प्रेशर का यूनिट पास्कल है 

सी लेवल पर  एटमॉस्फेरिक प्रेशर १ atm होता है इसे ही नॉर्मल एटमॉस्फेरिक प्रेशर कहते हैं 



टेंपरेचर और प्रेशर भी डिटरमाइंड करते हैं कि कोई भी मैटर किस स्टेट में रहेगा या तो वह सॉलि़ड होगा या लिक्विड होगा या गैसियस स्टेट में रहेगा यह उस समय पर टेंपरेचर और प्रेशर पर निर्भर करता है 

 

गैस से लिक्विड में चेंज होने की फिनोमेना  को   condensation कहते हैं जबकि लिक्विड से गैस में चेंज होने को vaprisation  कहते हैं 

इसी तरह लिक्विड से सॉलिड में बदलने की प्रक्रिया को सॉलिडिफिकेशन और solid-liquid में चेंज होने को फ्यूज़न  कहते हैं 



सरफेस पर जो लिक्विड पार्टिकल्स होते हैं उनकी काइनेटिक एनर्जी एस कंपेयर्ड to other  लिक्विड पार्टिकल्स ज्यादा होती है इसलिए यह अट्रैक्शन फोर्स को तोड़कर बाहर चले जाते हैं और vapour  में कन्वर्ट हो जाते हैं 

लिक्विड का अपने बॉयलिंग  टेंपरेचर से  लो टेंपरेचर पर vapor  में कन्वर्ट होने की finomena ko evaprisation kahte h

इसका एक एग्जांपल है कि गीले कपड़ों का सूखना 

 

 

 

सरफेस एरिया बढ़ने पर evaporation  का रेट बढ़ जाता है क्योंकि बहुत सारे लिक्विड पार्टिकल्स सरफेस पर आ जाते हैं 

टेंपरेचर इनक्रीस करने पर पार्टिकल्स ki  काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है 

 

humiidty  की मात्रा कम होने पर kyonki surroundings me vapour particles kam ho jate h 

वेपराइजेशन की रेट बढ़ जाती है

 

हवा की स्पीड बढ़ने से भी वेपराइजेशन की रेट बढ़ जाती है क्योंकि आसपास vapour ke particles kam ho jate h



इवेपरेशन के प्रोसेस में जो एनर्जी कम हो जाती है तो लिक्विड पार्टिकल सराउंडिंग से उस एनर्जी को एक absorb  कर लेते हैं  इसलिए सराउंडिंग का जो टेंपरेचर है वह कम हो जाता है

 

जैसे कि एसीटोन जो नेल पॉलिश रिमूवर होता है उसे हथेली पर लगाने पर ठंडा फील होता है 

 

वाटर कूलर गर्मियों में ठंडक का अहसास कराता है 

 

गर्मियों में गीले कपड़े जल्दी सूख जाते हैं क्योंकि humidity कम होती है एयर में vapour  पार्टिकल्स कम होते हैं इसलिए evaporation की रेट बढ़ जाती है और कपड़े जल्दी सूख जाते हैं 

जबकि सर्दियों में temperature कम होते हैं evaporation rate kam hoti h kapde deri se sukhte h 

 

ठंडे पानी के गिलास के बाहर जो पानी की बूंदे जमा हो जाती है जो सराउंडिंग की water vapour होती है जो ठंडा होकर लिक्विड में कन्वर्ट हो जाती है

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