राजस्थान की प्रमुख गोवंशीय नस्लें

 राजस्थान की प्रमुख गोवंशीय नस्लें



1.गीर

आवास :- मुख्यतः अजमेर, भीलवाड़ा जयपुर तथा सीमावर्ती जिलो में पायी जाती हैं।


शारीरिक लक्षण:


  1. रंग चितकबरा होता है, जो पीलापन लिए हुए लाल रंग से लगभग काले रंग तक होता है।
  2. चौड़ा एवं उन्नत ललाट, ढाल की तरह सिर के अधिकांश भाग को ढके हुए होता हैं।
  3. अनूठे ढंग से मुड़े हुए गोल सींग  हैं।
  4. लम्बे और सामने की ओर  लटकते हुए कान 
  5. कमर सीधी और मजबूत 
  6. गीर गाय दूध के लिए प्रसिद्ध हैं




2.थारपारकर


आवास - मुख्यतः जैसलमेर तथा सीमावर्ती बाडमेर एवं जोधपुर जिलों में पायी जाती हैं।



 शारीरिक लक्षण -

  1. गाय दुधारू व बैल परिश्रमी
  2. औसत दर्जे का लम्बा चेहरा, चौड़ा मस्तक तथा उभरा हुआ ललाट
  3. मध्यम दर्जे के सींग, जो मस्तक के बगल से सीधी दिशा में निकल कर धीरे धीरे ऊपर व अन्दर की और मुड़ते हैं ।
  4. कान लम्बे व लटकते हुये
  5. मध्यम दर्जे का थुआ कधो पर आगे आता हुआ होता है।
  6.  काले झवर वाली पूँछ, जो ऐडी तक पहुँचती है।

3.नागौरी


आवास :- मूल स्थान राजस्थान में नागौर जिला एंव जोधपुर जिले का उत्तरी-पूर्वी भाग


शारीरिक लक्षण :-

  1. प्रायः सफेद रंग के होते हैं।
  2. बैल चुस्त एवं फुर्तीले होने के साथ-साथ हल में चलाने के लिए भी प्रसिद्ध
  3. शरीर लम्बा एवं मजबूत
  4. पुठे मजबूत
  5. कमर सीधी व ललाट समतल
  6. त्वचा मुलायम व मुतान (Sheath) छोटी होती है।


4. हरियाणा

आवास - मुख्यतः सीकर, झुन्झुनू अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर तथा जयपुर जिले में पायी जाती हैं।

शारीरिक लक्षण :-

  1. सिर ऊँचा, शरीर गठीला. रंग सफेद
  2. चेहरा लम्बा
  3. मस्तक सपाट किन्तु थोड़ा उठा हुआ
  4. मस्तक के मध्य एक हड्डी काफी उठी हुई होती है, जो इस नस्ल की प्रमुख पहचान 
  5. नथुना चौड़ा, चमकदार बड़ी आँखें व कान छोटे
  6. पतली एवं लम्बी गर्दन तथा थुआ (Hump) विकसित
  7. थन औसत लम्बाई तथा अगले धन पिछले थनों से लम्बे होते है ।




5.मालवी


आवास - यह नस्ल मुख्यत झालावाड, कोटा, बारा, पूँन्दी एव सवाईमाधोपुर, जिलो में पायी जाती है।


शारीरिक लक्षण


  1. शरीर गठीला और रंग सफेद या स्लेटी (Grey) होता है।
  2. मालवी नस्ल की दो जातिया है। बड़ी मालवी जो झालावाड़ जिले में तथा छोटी मालनी कोटा, उदयपुर जिलों में पायी जाती है।
  3. पशु छोटे गहरे व गठीले बदन के
  4. सीधी कमर व पुट्ठे डालू
  5. मुतान लटका हुआ किन्तु अधिक विकसित नहीं

6.काँकरेज


आवास :- मुख्यतः बाडमेर, जालौर, सांचोर एवं जोधपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में पायी जाती हैं।


शारीरिक लक्षण:


  1. पशु तेज चलने और बोझा ढोने के लिए शक्तिशाली होते हैं
  2. शरीर लम्बा व शक्तिशाली
  3. अपेक्षाकृत चौड़ा ललाट, जो बीच में घसा हुआ होता है।
  4. सींग मजबूत य मुड़े हुए, जो मस्तक के बाहरी कोनो से निकलकर बाहर की ओर, फिर ऊपर व बाद में अन्दर की ओर मुडते है। सींग काफी ऊँचाई तक चमड़ी से ढके रहते हैं ।
  5. प्रमुख पहचान सवाई चाल (पशु का पिछला पैर जमीन पर टिकने से पूर्व ही अगला पैर उठ जाता हैं।



7.राठी


आवास - बीकानेर एवं सीमावर्ती चुरू गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते हैं।


शारीरिक लक्षण -


  1.  शुष्क क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस वंश के पशु माध्यम आकार के मजबूत व अच्छी किस्म के होते हैं । 
  2. ललाट फंसा हुआ
  3. सींग छोटे तथा सींगों के मध्य (पोल क्षेत्र) में हड्डी का उभार स्पष्ट होता है व त्वचा ढीली
  4. पूंछ काली, झब्बूदार व छोटी होती है, जो टखने के नीचे तक पहुंचती है।








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