राजस्थान की प्रमुख गोवंशीय नस्लें
1.गीर
आवास :- मुख्यतः अजमेर, भीलवाड़ा जयपुर तथा सीमावर्ती जिलो में पायी जाती हैं।
शारीरिक लक्षण:
- रंग चितकबरा होता है, जो पीलापन लिए हुए लाल रंग से लगभग काले रंग तक होता है।
- चौड़ा एवं उन्नत ललाट, ढाल की तरह सिर के अधिकांश भाग को ढके हुए होता हैं।
- अनूठे ढंग से मुड़े हुए गोल सींग हैं।
- लम्बे और सामने की ओर लटकते हुए कान
- कमर सीधी और मजबूत
- गीर गाय दूध के लिए प्रसिद्ध हैं
2.थारपारकर
आवास - मुख्यतः जैसलमेर तथा सीमावर्ती बाडमेर एवं जोधपुर जिलों में पायी जाती हैं।
शारीरिक लक्षण -
- गाय दुधारू व बैल परिश्रमी
- औसत दर्जे का लम्बा चेहरा, चौड़ा मस्तक तथा उभरा हुआ ललाट
- मध्यम दर्जे के सींग, जो मस्तक के बगल से सीधी दिशा में निकल कर धीरे धीरे ऊपर व अन्दर की और मुड़ते हैं ।
- कान लम्बे व लटकते हुये
- मध्यम दर्जे का थुआ कधो पर आगे आता हुआ होता है।
- काले झवर वाली पूँछ, जो ऐडी तक पहुँचती है।
3.नागौरी
आवास :- मूल स्थान राजस्थान में नागौर जिला एंव जोधपुर जिले का उत्तरी-पूर्वी भाग
शारीरिक लक्षण :-
- प्रायः सफेद रंग के होते हैं।
- बैल चुस्त एवं फुर्तीले होने के साथ-साथ हल में चलाने के लिए भी प्रसिद्ध
- शरीर लम्बा एवं मजबूत
- पुठे मजबूत
- कमर सीधी व ललाट समतल
- त्वचा मुलायम व मुतान (Sheath) छोटी होती है।
4. हरियाणा
आवास - मुख्यतः सीकर, झुन्झुनू अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर तथा जयपुर जिले में पायी जाती हैं।
शारीरिक लक्षण :-
- सिर ऊँचा, शरीर गठीला. रंग सफेद
- चेहरा लम्बा
- मस्तक सपाट किन्तु थोड़ा उठा हुआ
- मस्तक के मध्य एक हड्डी काफी उठी हुई होती है, जो इस नस्ल की प्रमुख पहचान
- नथुना चौड़ा, चमकदार बड़ी आँखें व कान छोटे
- पतली एवं लम्बी गर्दन तथा थुआ (Hump) विकसित
- थन औसत लम्बाई तथा अगले धन पिछले थनों से लम्बे होते है ।
5.मालवी
आवास - यह नस्ल मुख्यत झालावाड, कोटा, बारा, पूँन्दी एव सवाईमाधोपुर, जिलो में पायी जाती है।
शारीरिक लक्षण
- शरीर गठीला और रंग सफेद या स्लेटी (Grey) होता है।
- मालवी नस्ल की दो जातिया है। बड़ी मालवी जो झालावाड़ जिले में तथा छोटी मालनी कोटा, उदयपुर जिलों में पायी जाती है।
- पशु छोटे गहरे व गठीले बदन के
- सीधी कमर व पुट्ठे डालू
- मुतान लटका हुआ किन्तु अधिक विकसित नहीं
6.काँकरेज
आवास :- मुख्यतः बाडमेर, जालौर, सांचोर एवं जोधपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में पायी जाती हैं।
शारीरिक लक्षण:
- पशु तेज चलने और बोझा ढोने के लिए शक्तिशाली होते हैं
- शरीर लम्बा व शक्तिशाली
- अपेक्षाकृत चौड़ा ललाट, जो बीच में घसा हुआ होता है।
- सींग मजबूत य मुड़े हुए, जो मस्तक के बाहरी कोनो से निकलकर बाहर की ओर, फिर ऊपर व बाद में अन्दर की ओर मुडते है। सींग काफी ऊँचाई तक चमड़ी से ढके रहते हैं ।
- प्रमुख पहचान सवाई चाल (पशु का पिछला पैर जमीन पर टिकने से पूर्व ही अगला पैर उठ जाता हैं।
7.राठी
आवास - बीकानेर एवं सीमावर्ती चुरू गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते हैं।
शारीरिक लक्षण -
- शुष्क क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस वंश के पशु माध्यम आकार के मजबूत व अच्छी किस्म के होते हैं ।
- ललाट फंसा हुआ
- सींग छोटे तथा सींगों के मध्य (पोल क्षेत्र) में हड्डी का उभार स्पष्ट होता है व त्वचा ढीली
- पूंछ काली, झब्बूदार व छोटी होती है, जो टखने के नीचे तक पहुंचती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें