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राजस्थान की भैंस वंशीय नस्लें

 राजस्थान की भैंस वंशीय नस्लें





1.मुर्रा भैस


शारीरिक विशेषताएँ -

  1. देशभर में पाई जाने वाली भैसों की नस्लों में यह नस्ल अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है।
  2. पशुओं का रंग गहरा काला।
  3. पूँछ पर काले बाल, झब्ये के बीच में कुछ सफेद बाल भी होते हैं।
  4. भैंस की आँखे चमकीली और छोटी
  5. दूध में वसा की मात्रा 7-8 प्रतिशत होने के कारण घी निकलता है।
  6. पीठ चौडी. एव सिर उभरा हुआ
  7. सींग गोल तथा घुमावदार
  8. कान छोटे, पतले व लटके हुए
  9. मैसों में गर्दन लम्बी और पतली और नर पशुओं में छोटी एवं अधिक मोटी व मजबूत



2.सूरती भैंस


शारीरिक विशेषताएँ -


  1. भैंस का मूल स्थान गुजरात
  2. निर लम्बा-चौडा एवं सींगों के बीच गोलाकार
  3. कान छोटे तथा उनके अन्दर की त्वचा लाल होती हैं।
  4. राजस्थान में यह नस्ल उदयपुर के आसपास व दक्षिण भाग में पाई जाती हैं।
  5. सूरती मेस की टागे अन्य नस्लों की अपेक्षा छोटी
  6. आले गोल एवं उमरी हुई होती है।
  7. सींग आकार में दरातीनुमा






गौवंश की प्रमुख विदेशी नस्लें

गौवंश की प्रमुख विदेशी नस्लें 





रेडडेन


शारीरिक विशेषताएँ -



  1. रंग गहरा लाल अथवा गहरा भूरा
  2. पीठ में हल्का सा झुकाव होता है।
  3. सिर चोडा एवं मुह पतला
  4. शरीर भारी व बड़ा

जर्सी


शारीरिक विशेषताएँ -

  1. रंग भूरा अथवा लाल भूरा
  2. रीड की हडडी सीधी एवं सिर चौड़ा व तस्तरीनुमा
  3. गायों में अयन विकसित
  4. सींग आगे की तरफ मुड़े हुएँ. मध्यम आकार के


होलेस्टीन फिजियन


शारीरिक विशेषताएँ -


  1. मुख्यतः जयपुर, अजमेर शहरी क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
  2. पीठ की हडडी बिल्कुल सीधी होती है, झुकाव नहीं
  3. सिर चौडा व मजबूत
  4. रंग काले एवं सफेद रंग के भिन्न-भिन्न अनुपात के धब्बों वाला
  5. शरीर बड़ा व भारी तथा गादी विकसित होती हैं।





राजस्थान की प्रमुख गोवंशीय नस्लें

 राजस्थान की प्रमुख गोवंशीय नस्लें



1.गीर

आवास :- मुख्यतः अजमेर, भीलवाड़ा जयपुर तथा सीमावर्ती जिलो में पायी जाती हैं।


शारीरिक लक्षण:


  1. रंग चितकबरा होता है, जो पीलापन लिए हुए लाल रंग से लगभग काले रंग तक होता है।
  2. चौड़ा एवं उन्नत ललाट, ढाल की तरह सिर के अधिकांश भाग को ढके हुए होता हैं।
  3. अनूठे ढंग से मुड़े हुए गोल सींग  हैं।
  4. लम्बे और सामने की ओर  लटकते हुए कान 
  5. कमर सीधी और मजबूत 
  6. गीर गाय दूध के लिए प्रसिद्ध हैं




2.थारपारकर


आवास - मुख्यतः जैसलमेर तथा सीमावर्ती बाडमेर एवं जोधपुर जिलों में पायी जाती हैं।



 शारीरिक लक्षण -

  1. गाय दुधारू व बैल परिश्रमी
  2. औसत दर्जे का लम्बा चेहरा, चौड़ा मस्तक तथा उभरा हुआ ललाट
  3. मध्यम दर्जे के सींग, जो मस्तक के बगल से सीधी दिशा में निकल कर धीरे धीरे ऊपर व अन्दर की और मुड़ते हैं ।
  4. कान लम्बे व लटकते हुये
  5. मध्यम दर्जे का थुआ कधो पर आगे आता हुआ होता है।
  6.  काले झवर वाली पूँछ, जो ऐडी तक पहुँचती है।

3.नागौरी


आवास :- मूल स्थान राजस्थान में नागौर जिला एंव जोधपुर जिले का उत्तरी-पूर्वी भाग


शारीरिक लक्षण :-

  1. प्रायः सफेद रंग के होते हैं।
  2. बैल चुस्त एवं फुर्तीले होने के साथ-साथ हल में चलाने के लिए भी प्रसिद्ध
  3. शरीर लम्बा एवं मजबूत
  4. पुठे मजबूत
  5. कमर सीधी व ललाट समतल
  6. त्वचा मुलायम व मुतान (Sheath) छोटी होती है।


4. हरियाणा

आवास - मुख्यतः सीकर, झुन्झुनू अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर तथा जयपुर जिले में पायी जाती हैं।

शारीरिक लक्षण :-

  1. सिर ऊँचा, शरीर गठीला. रंग सफेद
  2. चेहरा लम्बा
  3. मस्तक सपाट किन्तु थोड़ा उठा हुआ
  4. मस्तक के मध्य एक हड्डी काफी उठी हुई होती है, जो इस नस्ल की प्रमुख पहचान 
  5. नथुना चौड़ा, चमकदार बड़ी आँखें व कान छोटे
  6. पतली एवं लम्बी गर्दन तथा थुआ (Hump) विकसित
  7. थन औसत लम्बाई तथा अगले धन पिछले थनों से लम्बे होते है ।




5.मालवी


आवास - यह नस्ल मुख्यत झालावाड, कोटा, बारा, पूँन्दी एव सवाईमाधोपुर, जिलो में पायी जाती है।


शारीरिक लक्षण


  1. शरीर गठीला और रंग सफेद या स्लेटी (Grey) होता है।
  2. मालवी नस्ल की दो जातिया है। बड़ी मालवी जो झालावाड़ जिले में तथा छोटी मालनी कोटा, उदयपुर जिलों में पायी जाती है।
  3. पशु छोटे गहरे व गठीले बदन के
  4. सीधी कमर व पुट्ठे डालू
  5. मुतान लटका हुआ किन्तु अधिक विकसित नहीं

6.काँकरेज


आवास :- मुख्यतः बाडमेर, जालौर, सांचोर एवं जोधपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में पायी जाती हैं।


शारीरिक लक्षण:


  1. पशु तेज चलने और बोझा ढोने के लिए शक्तिशाली होते हैं
  2. शरीर लम्बा व शक्तिशाली
  3. अपेक्षाकृत चौड़ा ललाट, जो बीच में घसा हुआ होता है।
  4. सींग मजबूत य मुड़े हुए, जो मस्तक के बाहरी कोनो से निकलकर बाहर की ओर, फिर ऊपर व बाद में अन्दर की ओर मुडते है। सींग काफी ऊँचाई तक चमड़ी से ढके रहते हैं ।
  5. प्रमुख पहचान सवाई चाल (पशु का पिछला पैर जमीन पर टिकने से पूर्व ही अगला पैर उठ जाता हैं।



7.राठी


आवास - बीकानेर एवं सीमावर्ती चुरू गंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में पाये जाते हैं।


शारीरिक लक्षण -


  1.  शुष्क क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस वंश के पशु माध्यम आकार के मजबूत व अच्छी किस्म के होते हैं । 
  2. ललाट फंसा हुआ
  3. सींग छोटे तथा सींगों के मध्य (पोल क्षेत्र) में हड्डी का उभार स्पष्ट होता है व त्वचा ढीली
  4. पूंछ काली, झब्बूदार व छोटी होती है, जो टखने के नीचे तक पहुंचती है।








राजस्थान में पशुपालन : अवसर एवं चुनौतीयां

राजस्थान में पशुपालन : अवसर एवं चुनौतीयां



कृषकसमाज शुरू से ही पशु सेवा के प्रति समर्पित रहा लेकिन पशुपालन व्यवसाय आज भी सफल आधार नहीं बन पाया है कारण स्पष्ट है, उत्पादन क्षमता का अभाव, क्षेत्रों में विशाल पशुधन संख्या तो उपलब्ध है लेकिन पशुओं की उत्पादन क्षमता बहुत ही कम है, अर्थात उपलब्धता तो सुनिश्चित है, लेकिन उत्पादकता सुनिश्चित नहीं है। आवश्यकता है उपलब्ध उच्च कोटि के प्रमाणित देशी नस्लों का वैज्ञानिक संरक्षण एवं संवर्द्धन तथा अवर्गीकृत निम्न श्रेणी के पशुओं में प्रजनन द्वारा उत्पादकता में वृद्धि की। प्रदेश में पशुधन विकास की अपार सम्भावनाएं है और इन सम्भावनाओं के साथ जुडी हुई ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की विपुल सम्भावनाएं।



               



देश की बढ़ती हुई जनसंख्या तथा निरंतर दूध की बढ़ती हुई मांग को संतुष्ट करने हेतु दुग्ध उत्पादन वृद्धि कार्यक्रमों का अत्यधिक महत्व है। भारत सरकार तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा संचालित दुग्ध उत्पादन वृद्धि कार्यक्रम के फलस्वरूप दुग्ध उत्पादन मात्रा की दृष्टि से आज हम अगणीय स्थान पर हैंलेकिन फिर भी हमें दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काफी प्रयास करना है। पिछले दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे आमूल परिवर्तन हुये है जिनकी कल्पना भी नही की जा सकती थी। 1970 के दशक में भारतीय कृषि व्यवस्था में हरित क्रान्ति योजना के सफलता से कियात्वयन के फलस्वरूप आज हमारा देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है । लेकिन भारत में विश्व के अन्य देशों की तुलना में सर्वाधिक पशु संख्या होने के बावजूद भी हम दुग्ध उत्पादन में अभी बहुत पीछे है।


देश की बढ़ती हुई जनसंख्या तथा समानुपाती बढ़ती हुई दूध की मांग की पूर्ति की दृष्टि से अभी दुग्ध उत्पादन वृद्धि के क्षेत्र में बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में पशुपालन एवं डेयरी विकास को वैज्ञानिक स्वरूप अवश्य मिला है और देश में पशु चिकित्सा विज्ञान
विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ उनमें डेयरी पशुपालन एवं विज्ञान के विषयों में शिक्षा व शोध की समुचित व्यवस्था भी सुनिश्चित हुयी लेकिन हमारे प्रदेश की गायों व भैंसों के दुग्ध उत्पादन की आनुवंशिक क्षमता तथा उनके पर्याप्त पोषण की दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है।


राजस्थान की अर्थव्यवस्था कृषि उत्पादन द्वारा संचालित होती है और कृषि का एक महत्वपूर्ण अंग है पशुपालन । प्राचीन काल से ही किसान का धन रहा है जो उसकी सम्पन्नता तथा सामाजिक व आस्थाओं को पूरा करने में आदिकाल से योगदान देते आ रहे हैं समय के बदलाव के साथ सथ जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण की प्रक्रिया में लोगों के जीवनयापन के तरीकों में परिवर्तन आया और दूध की मांग में वृद्धि हुई, पशुपालन व्यवसाय स्वरोजगार के रूप में पनपने लगा है ।


राजस्थान के राज्यपाल

 




राजस्थान के राज्यपाल
नामअवधि
सरदार गुरुमुख निहाल सिंह01.11.1956-15.04. 1962
डॉ. सम्पूर्णानन्द सिंह16.04.1962-15.04.1967
सरदार हुकम सिंह16.04.1967-30.06.1972
सरदार जोगेन्द्र सिंह01.07.1972-14.02. 1977
श्री रघुकुल तिलक12.05.1977-08.08.1981
श्री ओमप्रकाश मेहरा06.03. 1982-03.11.1985
श्री बी.आर. पाटिल20.11.1985-12.11.1987
श्री सुखदेव प्रसाद20.02.1988-02.02.1990
प्रो. देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय14.02.1990-25.08.1991
डॉ. एम. चेन्नारेड्डी05.02.1992-30.05.1993
श्री बलिराम भगत30.06.1993-01.05.1998
श्री दरबारा सिंह (कार्यकाल के दौरान निधन)01.05.1998-24.05.1998
श्री अंशुमान सिंह16.01.1999-13.05.2003
श्री निर्मलचन्द्र जैन (कार्यकाल के दौरान निधन)14.05.2003-22.05.2003
श्री मदनलाल खुराना14.01.2004-07.11.2004
श्रीमती प्रतिभा पाटिल (पहली महिला राज्यपाल)08.11.2004-21.06.2007
श्री शैलेन्द्र सिंह ( कार्यकाल के दौरान निधन)06.09.2007-दिस. 2009
श्रीमती प्रभा राव ( कार्यकाल के दौरान निधन)दिस. 2009-अप्रैल 2010
श्री शिवराज पाटिल (कार्यवाहक)अप्रैल 2010 से 12 मई, 2012
मारग्रेट अल्वा12 मई 2012 से......

राजस्थान में प्रथम

 



राजस्थान में प्रथम
प्रथम महाराजा प्रमुखमहाराणा भूपाल सिंह
प्रथम राज प्रमुखसवाई मानसिंह
प्रथम मुख्यमंत्रो (मनोनीत)हीरालाल शास्त्री
प्रथम मुख्यमंत्री (निर्वाचित)टीकाराम पालीवाल
सबसे अधिक कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रीमोहनलाल सुखाड़िया (4 बार)
पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रीभैरोसिंह शेखावत
पहले दलित मुख्यमंत्रीजगन्नाथ पहाड़िया
प्रथम महिला मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे
प्रथम महिला उप मुख्यमंत्रीकमला बेनीवाल
प्रथम महिला मंत्रीकमला बेनीवाल
प्रथम राज्यपालगुरुमुख निहालसिंह
प्रथम महिला राज्यपालप्रतिभा पाटिल
प्रथम विधानसभा अध्यक्षनरोत्तम लाल जोशी
प्रथम विधानसभा उपाध्यक्षलालसिंह शक्तावत
प्रथम महिला विधानसभाध्यक्षसुमित्रासिंह
विधानसभा में प्रतिपक्ष के प्रथम नेताकुंवर जसवन्त सिंह
पहली महिला जिला कलेक्टरओटिमा बोडिया
विधानसभा में प्रथम मुख्य सचेतकमथुरादास माथुर
प्रथम महिला विधायकयशोदा देवी
प्रथम जिला प्रमुखचौधरी लिखमाराम
प्रथम महिला मुख्य सचिवकुशलसिंह
प्रथम मुख्य सचिवके. राधाकृष्णन
प्रथम पुलिस महानिरीक्षकपी. बनर्जी
प्रथम पुलिस महानिदेशकरघुनाथ सिंह
राज्य वित्त आयोग के प्रथम अध्यक्षकृष्ण कुमार गोयल
प्रथम मुख्य न्यायाधीशकमलकान्त वर्मा
मानवाधिकार आयोग के प्रथम अध्यक्षकांता भटनागर
राज्य महिला आयोग की प्रथम अध्यक्षकान्ता कथूरिया
राज लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्षसर एस. के. घोष
राज की प्रथम महिला फ्लाईग ऑफिसरनिवेदिता
राज की प्रथम महिला पायलटनम्रता भट्ट
राजस्थान का स्थापना दिवस30 मार्च
विधान सभा सदस्य200
राजस्थान सेकासभा ररदसय25
राजस्थान से राज्यसभा सदस्य10
राजस्थान की विधान परिषद में सदस्य66
1ऽयों लोकसभा में राजस्थान से महिला सांसद3
राजस्थान उचन्यायालयजोधपुर (खण्डपीठ-जयपुर)
राज्य का प्रथम आकाशवाणी केन्द्रजयपुर (1955)
राज्य का प्रथम दूरदर्शन प्रसारण केन्द्रजयपुर (5 मार्च 1977)
राजस्थान को प्रथम राजस्थानी फिल्मनजराना
राज्य गीतकेसरिया बालम पधारो नी म्हारे देश।
राजस्थान की बर्मोपोलीहल्दीघाटी
मेवाड़ का मेराथनदिवेर का युद्ध
राजस्थान का खजुराहोकिराडू
राजस्थान का वेल्लोरभैंसरोडगढ़
आज के दौर का नालन्दा (शिक्षा नगरी)कोटा
राज्य का पहला शिल्पग्रामहवाला गांव (उदयपुर)
राज्य का पहला राष्ट्रीय उद्यानरणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान (sawai madhopur)
राज्य का प्रथम स्टॉक एक्सचेंजजयपुर

भारत में महिलाएं और मानसिक स्वास्थ्य - एक संक्षिप्त विवरण

मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों के संबंध में लिंग एक महत्वपूर्ण निर्धारक है मनोवैज्ञानिक विकारों का जो साइकोलॉजिकल पैटर्न महिलाओं में पुरुषों ...