कक्षा 9 विषय विज्ञान टॉपिक -मैटर या पदार्थ
भाग एक
सुबह आंख खोलने से लेकर रात को आंख बंद करने तक
जिन भी चीजों को हम महसूस करते हैं काम में लेते हैं या देखते हैं वह सभी मटेरियल
होता है और इसे वैज्ञानिक भाषा में मैटर कहते हैं इसका मतलब है पृथ्वी वायु जल
आकाश अग्नि सभी मैटर है
हवा जिसमें हम सांस लेते हैं भोजन जो हम खाते
हैं पत्थर बादल तारे प्लांट्स एनिमल्स पानी की बूंद रेत का एक कण सभी मैटर है
और यही हमारा आज का चैप्टर है मैटर इन अवर
सराउंडिंग्स
यूनिवर्स की हर वस्तु मटेरियल से बनी है और साइंटिस्ट उस मैटेरियल को मेटर कहते हैं जैसे
हवा जिसमें हम सांस लेते हैं भोजन जो हम खाते हैं पत्थर बादल तारे प्लांट्स एनिमल्स पानी की बूंद रेत का एक कण सभी मैटर है
मैटर के बारे में तीन चीजें बहुत इंपॉर्टेंट है
मैटर का नेचर है कि मैटर कुछ स्पेस ओकुपय करता
है यानी इसका कुछ ना कुछ वॉल्यूम जरूर होता है डेफिनेट वॉल्यूम होता है वॉल्यूम की
वैल्यू जीरो नहीं होती है
दूसरा मैटर का हमेशा कुछ न कुछ द्रव्यमान होता है
डेफिनेट द्रव्यमान होता है द्रव्यमान की वैल्यू
जीरो नहीं होती है
तीसरा मैटर बहुत सारे टाइनी पार्टिकल से मिलकर
बना होता है उन पार्टिकल्स को नेकेड आई से नहीं देखा जा सकता है
एक एक्सपेरिमेंट से हम समझेंगे कि मैटर
पार्टिकल से मिलकर बना होता है यानी पार्टिकुलेट नेचर का होता है
कंटीन्यूअस नहीं होता है जैसे शुगर या सॉल्ट को
पानी में डालने से वह घुल
जाते हैं यानी कि पानी के जो पार्टिकल्स है
उनके बीच में कुछ स्पेस होता है या शुगर के जो पार्टिकल्स है वह पानी के
पार्टिकल्स के बीच में एडजस्ट हो जाते हैं
एक्सपेरिमेंट से हम समझेंगे कि मैटर बहुत सारे
छोटे छोटे पार्टिकल से मिलकर बना होता है जैसे डेटॉल यह पोटेशियम परमैग्नेट को
हंड्रेड ML वाटर
में
डालने के बाद उसको और DILUTE करते हैं लगातार DILUTE
करते हैं तो डेटॉल कि हमें बहुत ही ज्यादा
डाइल्यूट सॉल्यूशन
में भी स्मेल आती है और पोटेशियम परमैंगनेट का
जो स्पेसिफिक कलर है वह बहुत ज्यादा DILUTE
सलूशन में भी हम उसको देख सकते हैं यह तभी संभव
है जब पार्टिकल पार्टिकल आगे ट्रांसफर हो रहे हैं जिससे वह अपनी प्रॉपर्टी कैर्री
कर रहे और उसमें स्मेल आ रही है या कलर हमें दिखाई दे रहा है
मांस का एस आई यूनिट किलोग्राम है इसका शॉर्ट
फॉर्म KG हैं और इसे किलोग्राम में मेजर करते हैं
वॉल्यूम का एस आई यूनिट क्यूबिक मीटर या मीटर
क्यूब है वॉल्यूम को सामान्यतया मेजर करने का यूनिट लीटर है यानी कि हम किसी से कहते हैं कि 1 लीटर दूध देना1 लीटर तेल देना ऐसा कभी नहीं
कहते हैं कि एक मीटर क्यूब दूध देना
हम पढ़ चुके हैं कि मैटर बहुत सारे टाइनी पार्टी कल से मिलकर बना होता
है अब हम यहां पार्टिकल्स के कुछ स्पेशल कैरक्टर्स के बारे में पड़ेंगे
पहला स्पेशल कैरेक्टर है पार्टिकल्स के बीच में
कुछ ना कुछ स्पेस जरूर होता है इसे हम ऐसे समझेंगे कि शुगर सॉल्ट डेटॉल पोटेशियम
परमैग्नेट या नींबू पानी चाय कॉफी यह पानी में डालने पर सामान DISTRIBUT हो जाते हैं
और इसी से यह PROVE भी हो जाता है कि
पार्टिकल्स के बीच में कुछ स्पेस होता है
मैटर जिन पार्टिकल से मिलकर बना होता है वह
पार्टिकल कंटीन्यूअसली मूव करते रहते हैं
यही कारण है कि रूम में जो अगरबत्ती हम जलाते
हैं उसकी खुशबू पूरे घर में
फ़ैल जाती है
और इंक या शहद को जब हम पानी में डालते हैं तो
हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि इंक और
शहद
पानी में धीरे-धीरे घुल रहा है इंक के पार्टिकल्स
को हम नीचे की तरफ मूव करते
हुए देख सकते हैं
इसका एक उदहारण और हमें देखने को मिलता है जब
कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल को पानी में घोला जाता है कॉपर सल्फेट क्रिस्टल पानी के
जार में नीचे चला जाता है और उसके पार्टीकल
ऊपर की तरफ कंटीन्यूअसली मूव करते हैं
अब हम देखेंगे कि टेंपरेचर इनक्रीस करने का
पार्टिकल्स के मूवमेंट पर क्या प्रभाव पड़ता है जैसे गर्म खाने की खुशबू हम तक
जल्दी पहुंच जाती है लेकिन ठंडे खाने की जो खुशबू है वह हम तक बहुत कम आते है या नहीं के
बराबर आती है या एक दूसरा एग्जांपल हम देखगे
की कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल बहुत जल्दी घुल जाते हैं अगर उस
मिक्सचर को गरम कर दिया जाए या टेंपरेचर इनक्रीस
किया जाए
इसका मतलब है टेंपरेचर इनक्रीस करने से
पार्टिकल्स का मूवमेंट फास्ट हो जाता है यानी उनकी काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है
अब हम पढ़ेंगे डिफ्यूजन के बारे में यानी कि 2 डिफरेंट मैटर के
पार्टिकल्स को आपस में अपने आप मिक्स हो जाने को डिफ्यूजन कहते हैं
दोनों मैटर के पार्टिकल्स बिना किसी आउटर
इफेक्ट के मिक्स हो जाते हैं अपने आप से मिक्स जाते हैं
अब हम देख लेते हैं डिफ्यूजन पर
टेंपरेचर और मैटर की स्टेट का क्या प्रभाव पड़ता है
टेंपरेचर इंक्रीज करने पर पार्टिकल्स की
काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है इसलिए वह फास्ट मूव करते हैं और इसीलिए डिफ्यूजन की रेट है वह बढ़
जाती है इसका मतलब है टेंपरेचर इनक्रीस करने पर डिफ्यूजन भी इनक्रीस होता है
क्योंकि डिफ्यूजन का मतलब यह है कि दोनों मैटर के पार्टिकल्स आपस में मिक्स हो जब
दोनों मैटर के पार्टिकल्स की काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाएगी तो उनके डिफ्यूजन की रेट
भी बढ़ जाएगी
सॉलिड लिक्विड एंड गैस तीनों लिक्विड में डिफ्यूज हो सकते हैं
गैसों का पानी में डिफ्यूजन का एक बहुत अच्छा
एग्जांपल हम देखते है कि ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर पानी
में घुली हुई होती है जोकि बहुत आवश्यक है एक्वेटिक एनिमल्स और प्लांट्स के
सर्वाइवल के लिए अदर वाइज ब्रेअद्थ नहीं कर पाएंगे और
एक्वेटिक लाइफ खत्म हो जाएगी
डिफ्यूजन पर मैटर की स्टेट का इफेक्ट हैं कि लिक्विड का
डिफ्यूजन है वह सॉलिड से ज्यादा होता है पर गैस से कम होता है क्योंकि लिक्विड
स्टेट में पार्टिकल्स ज्यादा फ्री मूव करते हैं और उनके बीच में ज्यादा स्पेस होता
है सॉलिड के कंपैरिजन
लेकिन जब गैस से कंपैरिजन किया जाए तो लिक्विड
अवस्था में पार्टिकल्स के बिच
स्पेस कम होता है और वह गैसियस पार्टिकल्स की
तुलना में कम तेजी से मूव
करते हैं
तीसरा इंपॉर्टेंट कैरेक्टर है मैटर के
पार्टिकल्स होते हैं वह एक दूसरे को अट्रैक्ट करते हैं इसे हम ऐसे समझेंगे कि एक
सिमर जब पानी में तैरता है तो पानी को काटता है लेकिन आगे निकलने के बाद में पानी
वापस मिल जाता है या हम अगर किसी पानी के जार जारनी हाथ से पानी को काटने का
प्रयास करें तो पानी वापस मिल जाएगा आपस में इससे पता चलता है कि पानी के
पार्टिकल्स के बीच में फोर्स लगता है जिससे वह आपस में मिल जाते हैं और पार्टिकल्स
के बीच यह फोर्स का कितना है कितना
अट्रैक्शन है यह अलग अलग मटर में अलग अलग होता
ह
जैसे चौक को इजीली ब्रेक किया जा सकता है आयरन
के कंपैरिजन में इसका मतलब यह है कि चौक के जो पार्टी कल से उनके बीच में जो
अट्रैक्शन फोर्स हैं वह
आयरन से कम है
अब हम पढ़ेंगे मैटर की स्टेट के बारे में
मैटर की अलग-अलग स्टेट हो सकती है ऐसा
पार्टिकल्स के बीच में स्पेस
पार्टिकल्स मूवमेंट
पार्टिकल्स के बीच में अट्रैक्शन के
अलग अलग होने के कारण मैटर की स्टेट अलग-अलग होती है
पार्टिकल्स के कैरेक्टर स्टिक्स में वेरिएशन के कारण मैटर अलग-अलग स्टेट में
मिल सकतआ है
हमारे चारों तरफ मैटर 3 स्टेट में मिलता
है सॉलिड लिक्विड एंड गैस
पानी की बात करें तो आई
लिक्विड वॉटर
एंड वेपर
एक-एक करके हम इन तीनों अवस्थाओं के बारे में
पड़ेंगे
सॉलिड के एग्जांपल है आइस ब्रेड रबर
रबर बैंड पेन बुक रिटर्न लकड़ी का कोई टुकड़ा सॉलिड की कुछ
स्पेशल क्वालिटी होती है जैसे
इनका डेफिनेट शेप होता है
डेफिनेट बाउंड्री होती है
कंप्रेसिबिलिटी नेगलिजिबल होती है इमेज कंप्रेस
नहीं किया जा सकता या बहुत कम कंप्रेस किया जा सकता है
सॉलिड की एक क्वालिटी होती है कि वह अपने शेप को मेंटेन करते
हैं लेकिन अगर आउटसाइड फोर्स बहुत ज्यादा लगाया जाता है तो वह शेप चेंज नहीं करते हैं और टूट
जाते हैं इसका मतलब वह बहुत ज्यादा रिजिड
होते हैं
रबड़ बैंड अपनी शेप चेंज करने का है जब उसको
खींचा जाता है लेकिन अगर ज्यादा फोर्स लगाया जाएगा तो रबड़ बैंड टूट जाता है दूसरा
आप कहेंगे शुगर के जो क्रिस्टल्स होते हैं जो शुगर होती है उसे हिंदी में जल
क्रिस्टल होते हैं वह सॉलिड होती है इसलिए शुगर सॉलिड दूसरा स्पंज के बीच में होते
हैं जाती है
लिक्विड के एग्जांपल है वोटर कुकिंग आयल मिल्क जूस कोल्ड ड्रिंक
लिक्विड
की कोई फिक्स शेप नहीं होती है लेकिन उनका
फिक्स वॉल्यूम होता है वह जिस भी कंटेनर में डाले जाएंगे उसी कंटेनर का शेप ले
लेते है
लिक्विड फ्लो होते ह रिजिड नहीं इसलिए लिक्विड
को फ्लूइड भी कहा जाता है
गैस हाईली कंप्रेस्ड बल होती है सॉलिड और
लिक्विड के कंपैरिजन
गैस को बहुत ज्यादा कंप्रेस किया जा सकता है
इसी कारण बहुत ज्यादा वॉल्यूम गैस का कंप्रेस होकर एक छोटे सिलेंडर में आ सकता है
और ट्रांसपोर्ट हो सकता है कुकिंग गैस सिलेंडर इसका एक एग्जांपल जिसे लिक्विफाइड
पेट्रोलियम गैस एलपीजी कहते
दूसरा एग्जांपल है ऑक्सीजन गैस सिलेंडर जो हॉस्पिटल्स में हम देख सकते हैं
तीसरा एग्जांपल है व्हीकल में जो सुन के लिए यूज किया जाता है सीएनजी सीएनजी गैस
पंप
गैसियस स्टेट में पार्टिकल्स के बीच में स्पेस
बहुत ज्यादा होता है और वह बहुत ज्यादा तेजी से मुंह करते हैं इसी कारण जो
डिफ्यूजिंग रेट है वह बहुत ज्यादा होती है और इसी कारण गरम खाने की जो खुशबू है वह
में बहुत जल्दी आ जाती है
गैसियस स्टेट में पार्टिकल्स बहुत तेज स्पीड
में जिस कंटेनर में रखे जाते हैं उस पर हिट करते हैं उसकी दीवारों पर इस वजह से वह
एक प्रेशर क्रिएट करते हैं कंटेनर
की दीवारों पर
मैटर की तीनों स्टेट के बीच में डिफरेंस हम
देखेंगे कि किन-किन प्रॉपर्टीज में सॉलिड की क्या प्रॉपर्टी है लिक्विड की क्या
प्रॉपर्टी है और गैस की क्या प्रॉपर्टी है जैसे वॉल्यूम सॉलिड का डेफिनेट वॉल्यूम
होता है
लिक्विड का डेफिनेट वॉल्यूम होता है लेकिन गैस
का कोई डेफिनेट वॉल्यूम नहीं है
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