कक्षा 10 विषय विज्ञान टॉपिक -केमिकल इक्वेशन एंड रिएक्शन भाग एक

 कक्षा 10 विषय विज्ञान टॉपिक -केमिकल इक्वेशन एंड रिएक्शन 

भाग एक



गर्मियों में जब हम दूध को फ्रिज से बाहर रख देते हैं तो वह खराब हो जाता है ऐसा क्यों होता है या लोहे के तवे पर जब पानी लग जाता है या बारिश में लोहा बाहर रखा हुआ होता है

उस पर  लाल कलर की  परत जम जाती  है जिसे हम सामान्य भाषा में जंग लगना कहते हैं  ऐसा क्यों होता है इसी तरह सिल्वर के ज्वेलरी काली पड़ जाती है या तांबे के बर्तन है उन पर हरे रंग की परत चढ़ जाती है ऐसा क्यों होता है  इन्हीं प्रश्नों के जवाब हम देंगे 

और जानेंगे वर्ड इक्वेशन, skeletal इक्वशन  व् बैलेंस केमिकल इक्वेशन के बारे में 


केमिकल रिएक्शंस  में atoms   के बीच कुछ पुराने बांड टूट ते हैं और कुछ नए बांड बनते हैं जिससे कि नए प्रोडक्ट्स बनते है

 

केमिकल रिएक्शंस में नए प्रोडक्ट बनते हैं जिनकी प्रॉपर्टी और आईडेंटिटी पुराने कंपाउंड  से अलग होती है  जैसे कि दूध को गर्मियों में जब बाहर  रखा जाता है तो केमिकल चेंजेज के कारण उसके स्वाद में परिवर्तन आ जाता है और वह दूध नहीं रहता है एक अलग कंपाउंड बन जाता है और इसी तरह लोहे को जब बाहर पानी में या बारिश में रखा जाता है तो लोहे के ऊपर लाल परत जैम जाती है लोहे का ऑक्सीडेशन हो जाता है

केमिकल रिएक्शंस में एटम  में कोई चेंज नहीं होते हैं उनके बीच बनने वाले bond  में चेंज होताहै  ना ही तो एटम बाहर से ऐड होते हैं ना ही कोई एटम  कम होता है नंबर ऑफ एटम constant होते हैं 

आयरन का atomआयरन का atomही रहता है ऐसा नहीं है कि आयरन का atomकॉपर के atomमें कन्वर्ट हो जाए आयरन के जितने नंबर ऑफ एटम है  वह फिक्स रहेंगे यदि रिएक्शन से पहले 10 एटम  है तो भी रिएक्शन के बाद भी 10 एटम ही रहेंगे

कुछ ऑब्जरवेशन से हम यह तय कर सकते हैं कि केमिकल रिएक्शन या केमिकल चेंजेज हुए ह

1.Change in state

2.Change in colour

3.Evolution of a gas

4.Change in temperature

5.Change in taste and odour

6.Form precipitate

सबसे पहले हम देखेंगे चेंज इन स्टेट यानी कि कंपाउंड की स्टेट  सॉलि़ड से लिक्विड या  गैस हो सकती है या गैस कोम्पिउन्द लिक्विड में चेंज हो सकती ह 

CO(g) + 2H (g)   340 atm          CH3OH(l)

Formation of water from H2 (g) and O2 (g)

 

2H2 (g) + O2 (g) = 2H2O(l)

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 चेंज इन कलर यानी रिएक्शन से पहले जो कलर है वह दूसरे कलर में बदल जाता है या जो पुराना कलर है वह नहीं रहेगा 

Fe(s) + CuSO4(aq)  =       FeSO4(aq) + Cu(s)

 

        Copper sulphate                (Iron sulphate)

 

आयरन कि जब कॉपर सल्फेट से रिएक्शन करवाते हैं तो कॉपर सल्फेट का जो ब्लू कलर है वह नहीं रहता क्योंकि कॉपर सल्फेट फेरस सल्फेट में बदल जाता है और आयरन पर कॉपर की परत जम जाती है जिससे आयरन नेल  का कलर चेंज हो जाता है 

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गैस का निकलना यानी कि एक्शन के दौरान यदि कोई गैस निकल रही है तो हम यह कह सकते हैं कि इसमें केमिकल चेंज हुआ है और यह केमिकल रिएक्शन है 

Zn   +  H2SO4         →    ZnSO4 +      H2

 

Zinc+Sulphuric acid→Zinc sulphate+Hydrogen

 जैसे जब जिंक की  सल्फुरिक एसिड से रिएक्शन होती है तो हाइड्रोजन गैस निकलती है 

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Change In Temperature

तीसरा है चेंज इन टेंपरेचर यानी कि या तो रिएक्शन के दौरान एनर्जी रिलीज होती है या एनर्जी कंसम्पशन होता है अगर एनर्जी रिलीज होती है तो रिएक्शन के बाद टेंपरेचर बढ़ जाता है जैसे जब कैल्शियम ऑक्साइड की रिएक्शन  पानी  के साथ की जाती है तो एनर्जी रिलीज होती है बिकर गर्म हो जाता है

CaO(s) +      H2O(l)  →   Ca(OH)2(aq)   +Heat

(Quick lime)                (Slaked lime)

कैल्शियम ऑक्साइड का कॉमन नेम Quick lime

 है और कैल्शियम हाइड्रोक्साइड का जो एक्वा सॉल्यूशन है उसका नाम  (Slaked lime) है

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टेस्ट और आर्डर में चेंज का सबसे अच्छा उदाहरण है दूध का गर्मियों में खराब होना

 

गर्मियों में जब दूध खराब हो जाता है गर्मी की वजह से तो उसका स्वाद है और जो खुशबू है वह बदल जाती है 

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जब किसी केमिकल रिएक्शन को word से रिप्रेजेंट किया जाता है तो उसे वर्ल्ड इक्वेशन कहते हैं

रिएक्शन में पार्टिसिपेट करने वाले कंपाउंड को REACTANTS  कहते हैं जबकि जो कंपाउंड नए बनते हैं वह प्रोडक्ट कहते हैं 

रिएक्टेंस को लेफ्ट हैंड साइड में लिखा जाता है जबकि प्रोडक्ट्स को राइट हैंड साइड में लिखा जाता है 

वर्ल्ड इक्वेशन का  use केमिकल रिएक्शन को छोटे  फॉर्म में लिखने के लिए किया जाता है

Magnesium        +   Oxygen   →          Magnesium oxide

REACTANTS A    +   REACTANTS B  →   PRODUCT

LHS                  RHS 

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केमिकल इक्वेशन वर्ड इक्वेशन के कंपैरिजन में ज्यादा छोटी  और यूज़फुल होती हैं क्योंकि इनमें शब्दों के बजाय केमिकल फार्मूला का यूज किया जाता है

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केमिकल इक्वेशन दो तरह की हो सकती है स्केलेटल केमिकल इक्वेशन और  बैलेंस केमिकल इक्वेशन दोनों में के बीच फर्क यह है कि स्केलेटल केमिकल इक्वेशन में एटम्स बैलेंस नहीं होते हैं दोनों तरफ जबकि बैलेंस केमिकल इक्वेशन में दोनों तरफ के जो एटम  है वह बैलेंस होते हैं जितनेएटम राइट हैंड साइड हैं उतने ही atomलेफ्ट हैंड साइड में होंगी

Mg + O2 → MgO → Skeletal Chemical Equation

2Mg + O2 → 2MgO → Balanced Chemical Equation

स्केलेटल केमिकल इक्वेशन में मांस भी बैलेंस नहीं होता है दोनों तरफ लेकिन केमिकल फार्मूला में कोई चेंज नहीं होते हैं दोनों ही इक्वेशंस में ऐसा नहीं है कि किसी कंपाउंड या एलिमेंट का केमिकल फार्मूला में चेंज हो 

केमिकल फार्मूला बिल्कुल सही होता है 

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बैलेंस केमिकल इक्वेशन लॉ ऑफ कंजर्वेशन ऑफ मास को फॉलो करती है  यानी कि किसी भी रिएक्शन में ना तो मास बनता है या डिस्ट्रॉय होता है मांस कांस्टेंट होता है यानी कि जितने भी एटम लेफ्टहैण्ड  साइड में है उतने ही एटम राइट हैंड साइड में होते हैं

 

कुछ बैलेंस केमिकल इक्वेशन हम यहां देखेंगे

Zn      +   H2SO4               →  ZnSO4              +        H2

Zinc + Sulphuric acid →  Zinc sulphate +  Hydrogen

CaO(s)    +   H2O(l)     Ca(OH)2(aq) +   Heat

(Quick lime)                          (Slaked lime)

 

Fe(s)   +   CuSO4(aq)   FeSO4(aq)                +Cu(s)                                                                 (Copper sulphate)                 (Iron sulphate)

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अब हम सीखेंगे केमिकल इक्वेशन को बैलेंस करना

पहला स्टेप यह है कि दिए गए केमिकल फार्मूला में कोई चेंज नहीं करना है 

Fe + H2O → Fe3O4 + H

दूसरे स्टेप में जितने भी एलिमेंट हैं उन में कितने एटम है वह लेफ्ट साइड और राइट एंड साइड दोनों तरफ के लिस्ट बना लेंगे जिससे हमें यह पता लग जाएगा कि एक एलिमेंट के रिएक्टेंट साइड में कितने एटम  है और प्रोडक्ट साइड में कितने एटम है 

 

तीसरे स्टेप में उस एलिमेंट के एटम्स से शुरु करते हैं जिसके एटम की संख्या  सबसे ज्यादा है  यानी सबसे पहले ज्यादा एटम वाले एलिमेंट को बैलेंस करते हैं चाहे वह राइट हैंड साइड हो या लेफ्ट हैंड साइड हो यानी कि रिएक्टेंट्स हो या प्रोडक्ट हो इस क्राइटेरिया  के हिसाब से ऑक्सीजन एटम को सेलेक्ट करते हैंऔर उसे बैलेंस करते हैं 


क्योंकि लेफ्ट  हैंड साइड में चार ऑक्सीजन के atomहै और राइट हैंड साइड में एक ऑक्सीजन का atomहै इसलिए बैलेंस करने के लिए राइट हैंड साइड में भी चार ऑक्सीजन केएटम लेंगे

 

नंबर ऑफ एटम को इक्वल करने के लिए केमिकल फार्मूला में कोई चेंज नहीं करना है 

4H2O and not H2O4

अब यह पार्शियली बैलेंस इक्वेशन है 


हाइड्रोजन और आयरन के एटम्स अभी भी बैलेंस नहीं है हाइड्रोजन के एटम्स को बैलेंस करने के लिए राइट हैंड साइड में  h2के चार मॉलिक्यूल लेंगे


आयरन के एटम को इक्वल करने के लिए लेफ्ट हैंड साइड में तीन आयरन के एटम्स लेंगे

 

अब हम दोनों तरफ के एटम्स को काउंट करेंगे  जो कि अब बराबर है नाउ द इक्वेशन इस  केमिकल बैलेंस 

केमिकल इक्वेशन को ज्यादा इनफॉर्मेटिव बनाने के लिए रिएक्टेंस और प्रोडक्ट की फिजिकल स्टेट को भी केमिकल इक्वेशन में दर्शाया जाता है 

 

NOTATIONS

The gaseous (g)

liquid - (l)

Aqueous- (aq)

solid - (s)

The symbol (g) is used with H2O to indicate  water is used in the form of steam.

गैसियस स्टेट का मतलब यह है कि पानी वेपर के फॉर्म में है पानी की vapour फॉर्म को स्टीमकहते ह

The word aqueous (aq) is written if the reactant or product is present as a solution in water.

जहां aqueous  का मतलब है किसी भी  कंपाउंड का वोटर में सलूशन

 


 

रिएक्शन की कंडीशन जैसे रिएक्शन के दौरान टेंपरेचर प्रेशर और यदि कोई Catalyst यूज़ किया हो तो उनको अरो के ऊपर लिखा जाता है

 

CO(g) + 2H2 (g)        340atm      CH3 OH(l)

जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस 340 एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर  रिएक्ट करती है और मैथिल अल्कोहल बनाती है

6CO2(aq) +12H2O chlorophyllSunlight    C6H12O6(aq) +6O2(aq) +6H2

(Glucose)

CO2 और  h2o सनलाइट और क्लोरोफिल की  प्रेजेंट्स में ग्लूकोस मॉलिक्यूल बनाते हैं

वीडियो को एंड तक देखने के लिए धन्यवाद और अगर आपको कोई डाउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके आप पूछ सकते हैं  वीडियो को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें लाइक करें और सब्सक्राइब करें

 

कक्षा 9 विषय विज्ञान टॉपिक -मैटर या पदार्थ भाग दो

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भाग दो




बर्फ से पानी कैसे  बनता है और पानी से भाप  कैसे बन जाती है 

मेल्टिंग पॉइंट , बोइलिंग पॉइंट, vaporization,  latent heat of vaporisation , evaporation क्या होता ह 

कपड़े गर्मियों में जल्दी सूख जाते हैं और सर्दियों में देरी से सूखते हैं

कूलर कैसे ठंडी हवा देता है  इस वीडियो में हम इन्हीं सवालों के जवाब देखेंगे


हम पार्ट वन में पढ़ चुके हैं कि मैटर की state  पार्टीकल की प्रॉपर्टी में अंतर के कारण होती हैं 

इसलिए जब इन प्रॉपर्टी में  चेंज होता है तो मैटर की स्टेट भी चेंज होती है 

मतलब मैटर सॉलि़ड से लिक्विड और लिक्विड से गैस में बदलता है और इसका उल्टा भी हो सकता हा

यानि गैस से लिक्विड और लिक्विड से सॉलिड 

 

टेंपरेचर चेंज करने पर मटर की  स्टेट पर क्या प्रभाव पड़ता है

टेंपरेचर इंक्रीज करने पर पार्टिकल्स की काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है इस वजह से पार्टिकल्स का मूवमेंट भी बढ़ जाता है   उनके बीच स्पेस भी बढ़ जाता है और मैटर सॉलिड स्टेट से  लिक्विड स्टेट में  चेंज होता है और लिक्विड स्टेट से गैसियस स्टेट में चेंज होता है इसी तरह टेंपरेचर कम करने पर गैसियस से लिक्विड स्टेट में और लिक्विड से सॉलिड स्टेट में चेंज हो जाता है 

वॉटर जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर सॉलि़ड स्टेट में और हंड्रेड डिग्री सेंटीग्रेड पर गैस स्टेट में रहता है

और  जीरो  से 100 के बीच  लिक्विड स्टेट होती है 



एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर वह मिनिमम टेंपरेचर जिस पर सॉलि़ड.  लिक्विड में बदलने लग जाता है उसे मेल्टिंग प्वाइंट कहते हैं 

मेल्टिंग प्वाइंट इंडिकेट करता है कि सॉलिड के पार्टिकल्स के बीच कितना  अट्रैक्शन फोर्स है यदि मेल्टिंग प्वाइंट ज्यादा है इसका मतलब है कि अट्रैक्शन फोर्स ज्यादा है और मेल्टिंग प्वाइंट कम है इसका मतलब है कि अट्रैक्शन फोर्स कम  है 

 

 

आइस का मेल्टिंग प्वाइंट है 273.15k

टेंपरेचर कि ऐसा यूनिट केल्विन है 

0c  273.15k

suvidha ke liye 0=273k

melting की प्रोसेस को फ्यूजन भी कहते हैं




लेटेस्ट हीट  के बारे में डिस्कस करेंगे

जब सॉलिड मेल्ट हो रहा होता है तो उसका टेंपरेचर इनक्रीस नहीं होता है क्योंकि जो एनर्जी उसे दी जा रही है वह उसके पार्टिकल्स के बीच में फोर्स आफ अट्रैक्शन है उसे ओवरकम करने के काम आता है वह एनर्जी उसके टेंपरेचर को इनक्रीस करने के काम नहीं आती है इसलिए सॉलिड से लिक्विड बदलते समय टेंपरेचर चेंज नहीं होता है जब तक कि पूरा solid-liquid में नहीं बदल जाता है इस दौरान दी गई ऊर्जा या एनर्जी लेटेंट हीट कहीं जाएगी 

 

लेटेंट हीट हिडन एनर्जी भी  कहते हैं क्योंकि यह बिकर  में जो कंटेंट है उसमें काम आ जाती है इससे बिकर का टेंपरेचर इनक्रीस नहीं होता

 

इसलिए जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर लिक्विड वॉटर मॉलिक्यूल की एनर्जी जीरो डिग्री सेंटीग्रेड पर ice मॉलिक्यूल की एनर्जी से ज्यादा होती है

1kg सॉलिड को एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर लिक्विड में बदलने के लिए जितनी एनर्जी की रिक्वायरमेंट होती है उसे लेटेंट हीट आफ फ्यूजन  कहेंगे 

 

एटमॉस्फेरिक प्रेशर पर वह मिनिमम टेंपरेचर जिस पर लिक्विड गैसियस स्टेट में बदलने लग जाता है उसे मैटर का बोलिंग प्वाइंट कहा जाता है 

पानी का बोलिंग प्वाइंट है  100 c   373k

डिग्री सेंटीग्रेड टेंपरेचर की नॉर्मल मेजरिंग यूनिट है जबकि केल्विन एसआई यूनिट है

 

हिट इनक्रीस करने पर सॉलि़ड स्टेट लिक्विड स्टेट में बदल जाती है और अधिक हिट इनक्रीस करने पर लिक्विड स्टेट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाती है इसी तरह

 कुलिंग  करने पर गैसियस स्टेट लिक्विड स्टेट में और लिक्विड स्टेट सॉलि़ड स्टेट में चेंज हो जाती है

 

एक किलोग्राम लिक्विड को एटमॉस्फेरिक प्रेशर उसके बोलिंग प्वाइंट पर गैसियस स्टेट में चेंज करने के लिए जितनी एनर्जी की रिक्वायरमेंट होती है उस हीट  को लेटेंट हीट आफ वेपराइजेशन कहते हैं 

 

इसी लेटेंट हीट आफ वेपराइजेशन के कारण गैस पार्टिकल की एनर्जी लिक्विड पार्टिकल्स की एनर्जी से ज्यादा होती है सेम टेंपरेचर पर  कुछ कंपाउंड डायरेक्ट सॉलि़ड स्टेट से गैस स्टेट में और गैस स्टेट से सॉलि़ड स्टेट में चेंज हो जाते हैं उनके बीच में कोई इंटरमीडिएट  लिक्विड स्टेट नहीं आती है  इस प्रोसेस को सब्लीमेशन कहते हजैसे कपूर या अमोनियम क्लोराइड 

अमोनियम क्लोराइड की वेपर को ठंडा करने पर यह डायरेक्ट सॉलिड में चेंज हो जाती है 

इसी तरह सॉलिड अमोनियम क्लोराइड को हीट  देने पर यह डायरेक्ट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाता है

गैसियस स्टेट से डायरेक्ट सॉलि़ड स्टेट में चेंज होने की फिनेमेना को deposition कहते ह 

 

मैटर की स्टेट पर प्रेशर को चेंज करने की क्या प्रभाव है 

यदि प्रेशर को अप्लाई करते हुए टेंपरेचर को कम किया जाए तो

किसी भी गैस को लिक्विफाई किया जा सकता है इसके कुछ एग्जांपल्स हम देखते हैं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड को हाई प्रेशर पर स्टोर किया जाता है

सॉलि़ड कार्बन डाइऑक्साइड डायरेक्ट गैसियस स्टेट में चेंज हो जाती है यदि  pressure    १ एटमॉस्फेरिक प्रेशर से कम kar diya jaye इसी कारण सॉलि़ड कार्बन डाइऑक्साइड को ड्राई आइस भी कहते हैं 

 

गैस द्वारा लगाए गए प्रेशर को मेजर करने का यूनिट एटमॉस्फेयर है 

जबकि प्रेशर का यूनिट पास्कल है 

सी लेवल पर  एटमॉस्फेरिक प्रेशर १ atm होता है इसे ही नॉर्मल एटमॉस्फेरिक प्रेशर कहते हैं 



टेंपरेचर और प्रेशर भी डिटरमाइंड करते हैं कि कोई भी मैटर किस स्टेट में रहेगा या तो वह सॉलि़ड होगा या लिक्विड होगा या गैसियस स्टेट में रहेगा यह उस समय पर टेंपरेचर और प्रेशर पर निर्भर करता है 

 

गैस से लिक्विड में चेंज होने की फिनोमेना  को   condensation कहते हैं जबकि लिक्विड से गैस में चेंज होने को vaprisation  कहते हैं 

इसी तरह लिक्विड से सॉलिड में बदलने की प्रक्रिया को सॉलिडिफिकेशन और solid-liquid में चेंज होने को फ्यूज़न  कहते हैं 



सरफेस पर जो लिक्विड पार्टिकल्स होते हैं उनकी काइनेटिक एनर्जी एस कंपेयर्ड to other  लिक्विड पार्टिकल्स ज्यादा होती है इसलिए यह अट्रैक्शन फोर्स को तोड़कर बाहर चले जाते हैं और vapour  में कन्वर्ट हो जाते हैं 

लिक्विड का अपने बॉयलिंग  टेंपरेचर से  लो टेंपरेचर पर vapor  में कन्वर्ट होने की finomena ko evaprisation kahte h

इसका एक एग्जांपल है कि गीले कपड़ों का सूखना 

 

 

 

सरफेस एरिया बढ़ने पर evaporation  का रेट बढ़ जाता है क्योंकि बहुत सारे लिक्विड पार्टिकल्स सरफेस पर आ जाते हैं 

टेंपरेचर इनक्रीस करने पर पार्टिकल्स ki  काइनेटिक एनर्जी बढ़ जाती है 

 

humiidty  की मात्रा कम होने पर kyonki surroundings me vapour particles kam ho jate h 

वेपराइजेशन की रेट बढ़ जाती है

 

हवा की स्पीड बढ़ने से भी वेपराइजेशन की रेट बढ़ जाती है क्योंकि आसपास vapour ke particles kam ho jate h



इवेपरेशन के प्रोसेस में जो एनर्जी कम हो जाती है तो लिक्विड पार्टिकल सराउंडिंग से उस एनर्जी को एक absorb  कर लेते हैं  इसलिए सराउंडिंग का जो टेंपरेचर है वह कम हो जाता है

 

जैसे कि एसीटोन जो नेल पॉलिश रिमूवर होता है उसे हथेली पर लगाने पर ठंडा फील होता है 

 

वाटर कूलर गर्मियों में ठंडक का अहसास कराता है 

 

गर्मियों में गीले कपड़े जल्दी सूख जाते हैं क्योंकि humidity कम होती है एयर में vapour  पार्टिकल्स कम होते हैं इसलिए evaporation की रेट बढ़ जाती है और कपड़े जल्दी सूख जाते हैं 

जबकि सर्दियों में temperature कम होते हैं evaporation rate kam hoti h kapde deri se sukhte h 

 

ठंडे पानी के गिलास के बाहर जो पानी की बूंदे जमा हो जाती है जो सराउंडिंग की water vapour होती है जो ठंडा होकर लिक्विड में कन्वर्ट हो जाती है

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