प्रश्न संख्या 1. -सूचना ज्ञान एवं आंकड़ों का संबंध बताइए|
उत्तर-ज्ञान सूचनाओं का समग्र रूप है जबकि सूचना ज्ञान का एक आग है।नवीन सूचनाओं से ज्ञान में अभिवृद्धि होती है व ज्ञान की प्राप्ति, से ही नवीन सूचनाओं का जन्म होता है। जान व सूचना में पहले कौन आया यह निर्धारित करना ठीक उसी प्रकार है कि मुर्गीपहले हुई या अडा ।
वह ज्ञान जिसे संप्रेषित किया जा सके, सूचना कहलाती है। ज्ञान व्यक्ति के मन मस्तिष्क तक सीमित हो सकता है परन्तु उसको दूसरे तक पहुँचाने पर वह सूचना का रूप धारण कर लेता है।
इसी प्रकार डाटा, सूचना का अंश मात्र है आंकड़े (डाटा) सूचना पूर्ण करने में सहयोगी होते है । इनके संग्रह से सूचना तैयार होती है अर्थात् आंकडे (डाटा) सूचना के लिए सूक्ष्म, अणु, परमाणु की तरह है जिनके समूह से एक परिपूर्ण सूचना तैयार होती हैं मात्र ऑकडे (डाटा) के माध्यम से कोई कार्य की तह तक नहीं पहुंचा जा सकता है डाटा समूह का विश्लेषण कर पूर्ण सूचना तैयार की जाती है
आंकड़े (डाटा) को संगठित कर दिया जाता है या किसी विशेष विधि से ऑकड़े (डाटा) को प्रस्तुत किया जाता तो वह सूचनाके रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। डाटा सारगर्भित नहीं है जबकि सुचना सारगर्भित है
ऑकड़े (डाटा) से निर्णय नहीं लिया जा सकता है या डाटा प्रतिवेदन नहीं बना सकता है प्रतिवेदन बनाने में मदद कर सकते है जबकि सूचना के द्वारा बड़े-बड़े निर्णय लिये जाते हैं एवं सही प्रतिवेदन बनाये जाते हैं । उदाहरण- 2021 की जनगणना हेतु प्रत्येक घर से ऑकड़े (डाटा) तैयार किये जा रहे हैं और इन ऑकड़ों को सारणीबद्ध, तालिकानुसार प्रस्तुत कर उसका सारगर्भित प्रतिवेदन तैयार कर जनगणना सूचना तैयार की जायेगी
प्रश्न संख्या 2. रिप्रोग्राफी को परिभाषित कीजिए-Definitions of Reprography
रिप्रोग्राफी शब्द की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों में मतभेद है ।
इस शब्द की उत्पत्ति आंग्ल भाषा के दो शब्दों रिप्रोडक्शन (Reproduction) एवं फोटोग्राफी (Photography) से हुई ।
रिप्रोडक्शन का अर्थ एक अथवा अनेक प्रतियाँ तैयार करना तथा फोटोग्राफी का अर्थ प्रकाश के प्रयोग दवारा सुग्राही कागज प्रति तैयार करना है । इस प्रकार रिप्रोग्राफी का शाब्दिक अर्थ फोटोग्राफी की सहायता से प्रतियों तयार करना होता है ।
सामान्यतः किसी भी प्रलेखकी प्रकाशीय तकनीकों द्वारा लघु या वृहद स्तर पर प्रतिलिपिया बनाने को रिप्रोग्राफि कहते हैं
आजकल अन्य सामान्य विधियों दवारा प्रतियाँ तैयार करना भी संभव है । कुछ विद्वानों दवारा रिप्रोग्राफी की निम्न परिभाषायें उल्लेखनीय हैं|
1. रसायन एवं भौतिक शास्त्र के सिद्धान्तों के प्रयोग से एक या अनेक प्रतियाँ तैयार करने की कला या विज्ञान को रिप्रोग्राफी कहते हैं । -एच.आर.वेरी
2. फोटो प्रतियों व सूक्ष्म आकार की प्रतियों सहित हर प्रकार के प्रलेख की प्रतिकृति तैयार करने की विधियों को संयुक्त रूप से रिप्रोग्राफी की संज्ञा दी जाती है । -जी.टी. पीज
3. हर प्रकार के प्रलेखों की अनुकृति तैयार करने की विधि यथा छाया प्रतियाँ, सूक्ष्माकार प्रतियाँ, नील प्रतियाँ (Blue prints), विद्युतीय प्रतियाँ (Electro coptes), तापीय प्रतियाँ आदि. ही रिप्रोग्राफी है
4.छायांकन अथवा किसी अन्य विधि द्वारा किसी प्रलेख की एक या अनेक प्रतियां तैयार करने की कला रिप्रोग्राफी है- इनसाइक्लोपीडिया ऑफ लाइब्रेरियनशिप
5. रिप्रोग्राफी प्रलेख उत्पाद प्रक्रिया का एक समूह है जिसका उद्देश्य है पूर्व में रचित आलेखीय या संकेतात्मक संदेश को प्रकाशीय या छायांकन की यांत्रिक विधि से पुनः प्रस्तुत करना- एनल बी विनर
प्रश्न संख्या 3. संदर्भ ग्रंथालयी की व्यवसायिक योग्यताओं की चर्चा कीजिए
उत्तर
1.यूजीसी लाइब्रेरी कमेटी की सिफारिश के अनुसार शैक्षणिक योग्यता में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त होनी चाहिए साथ ही व्यवसायीक योग्यता में पुस्तकालय विज्ञान में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि होनी चाहिए व वांछनीय योग्यता के रूप में पीएचडी या कुछ अनुभव होने चाहिए|
2. उक्त योग्यताओं में यूजीसी ने समय के हिसाब से थोड़ी बहुत तब्दीली की है एम लिब में कम से कम 55% अंक होने चाहिए इसके साथ यूजीसी की नेट परीक्षा पास होना अति आवश्यक है|
3. व्यापक ज्ञान- संदर्भ पुस्तकालय अध्यक्ष को नियुक्ति के उपरांत भी ज्ञान वृद्धि के लिए तैयार होना चाहिए लगभग हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकों,संदर्भ ग्रंथों का ज्ञान विकसित करना चाहिए व संदर्भ ग्रंथों के बारे में जानकारी हो ताकि वह पाठकों को भी बताने मैं समर्थ हो|
4. संदर्भ साक्षात्कार- संदर्भ पुस्तकालय अध्यक्ष को साक्षात्कार करने में दक्ष होना चाहिए ताकि वह अपने पाठक के हाव भाव को समझ कर उनकी समस्याओं का हल कर सके अंतः व्यक्तित्व संचार से भी परिचित होना आवश्यक है|
5. सूचना प्राप्ति की विधि तथा खोज से भलीभांति परिचित होना चाहिए|
6. वर्गीकरण पद्धति,प्रस्तुतीकरण पद्धति के बारे में ज्ञान हो|
7. पाठकों की विभिन्न सूचना आवश्यक तत्वों का गहन अध्ययन करने की विधि का ज्ञान हो|
8. अध्यापन विधि तथा लेखन कला का ज्ञान हो|
9. कंप्यूटर ज्ञान, डाटाबेस व ऑनलाइन सर्चिंग से भलीभांति परिचित होना आवश्यक है|
प्रश्न संख्या 4. सामूहिक अभिज्ञता सेवा की आवश्यकता की चर्चा कीजिए
उत्तर-
निम्न कारणों से आज बड़े-बड़े सूचना केंद्रों एवं विशिष्ट पुस्तकालयों में सामयिक अभिज्ञता सेवाओं का आयोजन किया जाता है
1.पुस्तकालय, प्रलेखन व सूचना केंद्रों में संग्रहित नवीन सूचना सामग्री के उपयोग के कारण
2. पुस्तकालय के उपयोगकर्ताओं को विषय की नवीनतम जानकारी से अवगत रखने के लिए
3. सूचना के प्रमुख साधन -प्रलेखो के सार्थक उपयोग के लिए
4. पाठकों की सूचना आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
5. शोधकर्ताओं को अपने विषय में अपडेट रखने के लिए
6. शोधकर्ताओं द्वारा विषय की सामग्री को परीक्षण करने की अपेक्षा पुस्तकालय करने की सुविधा प्रदान करने हेतु
7. शोधकर्ताओं के समय की बचत के लिए
8. जो पाठक समय अभाव या कार्यभार के कारण पुस्तकालय में स्वयं निरीक्षण करने के लिए नहीं आ सकते उनके लिए पाठ्य सामग्री के सूचनार्थ
प्रश्न संख्या 5. प्रस्तुत संदर्भ सेवा की प्रकृति का वर्णन कीजिए
उत्तर-
टाइम फैक्टर के आधार पर प्रस्तुत संदर्भ सेवा शीघ्र अति शीघ्र दी जाती है|
रंगनाथन के अनुसार प्रस्तुत संदर्भ सेवा बहुत ही कम समय में या कुछ क्षणों में प्रदान की जाती है |
इसकी सीमा 5 मिनट से लेकर आधे घंटे तक है|
प्रस्तुत संदर्भ सेवा स्रोत के आधार पर पुस्तकालय में उपलब्ध संदर्भ ग्रंथ या पूर्व में दिए गए जवाब की फाइल की सहायता से प्रदान की जाती है|
इस सेवा में ऐसे प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है जिनके उत्तर खोजने में ज्यादा समय नहीं लगता है जैसे पुस्तकालय प्रसूची कहां है या शब्दकोश कहां है या प्रेमचंद की कौन सी किताबें पुस्तकालय में है|
यह सेवा पुस्तकालय केंद्र में पूछताछ केंद्र से प्रदान की जाती है यह केंद्र मुक्त द्वारा आदान-प्रदान विभाग के पास स्थित होता है
प्रश्न संख्या 6. सूचना वैज्ञानिक की भूमिका का वर्णन कीजिए
सूचना वैज्ञानिक के कार्य किसी भी संस्था की ख्याति निर्मित करते हैं| सूचना वैज्ञानिक के प्रमुख कार्य निम्न प्रकार है
1.निर्देशात्मक कार्य
अन्य विभागों से समन्वय रखते हुए सूचनाएं प्रदान करें
अभिलेख सुरक्षित रखना तथा दिन-प्रतिदिन के आंकड़ों से विभाग की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करना
विभाग के अन्य कर्मचारियों को दिशा निर्देश देना तथा सहयोजन करना
सूचना स्रोतों के अधिकतम उपयोग के लिए निर्देश देना
पुस्तकालय में प्रयुक्त वर्गीकरण व प्रस्तुतीकरण पद्धतियों के बारे में पाठकों को बताना और सूचना खोजने के लिए पाठकों की सहायता करना
अंतः पुस्तकालय आदान-प्रदान द्वारा पुस्तकालय से सामग्री प्राप्त कर पाठक की जिज्ञासाओं को शांत करना
2.सूचनात्मक कार्य
लघु व दीर्घकालीन सूचना प्रश्नों को लेखाबध करना तथा उत्तर प्रदान करना
तथ्यात्मक ,प्रश्नों, आंकड़ों, घटनाओं, तथ्यों आदि के बारे में जानकारी देना भी सूचनात्मक कार्य के अंतर्गत आते हैं
3. मार्गदर्शात्मक कार्य-
पाठक को मार्गदर्शन देना भी सूचना वैज्ञानिक का कर्तव्य है जैसे व्यवसाय अध्ययन संबंधी मार्गदर्शन
4. प्रलेखी कार्य-
आयोजित विषय पर वांछित सूचना पर प्रलेखो को एकत्रित करना
5. समीक्षात्मक कार्य-
सूचना विभाग की समीक्षा कर भविष्य के लिए सुधार हेतु योजना बनाना, वार्षिक लेखा-जोखा तैयार करना, पाठकों की अभिरुचि को समझना और उसके आधार पर सूचना सामग्री के संग्रह के लिए कार्यवाही करना
6. अन्य कार्य
सूचना प्रदर्शनी व सामयिक विचारों पर संगोष्ठी आयोजित करने का कार्य
प्रश्न संख्या 7 . पाठकीय शिक्षण की आवश्यकता बताइए
उत्तर-
पाठक शिक्षा का उद्देश्य पाठक को ज्ञान कौशल निपुणता प्रदान करना है ताकि पुस्तकालय के साधन व सेवाओं का अधिक उपयोग कर सकें,पुस्तकालय व पाठक के मध्य दूरी कम हो,पाठक का समय बच सके और उसे पूर्ण संतुष्टि प्राप्त हो इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पाठक को पुस्तकालय में उपलब्ध सामान्य व विशिष्ट सूचना तलाश करना उस काले सेवाओं का प्रयोग करना तथा अध्ययन की विशेष तकनीकों का ज्ञान सिखाया जाता है|
पाठक को कंप्यूटर व इंटरनेट द्वारा संसार के विभिन्न देशों में उपलब्ध सूचना तलाश करना और वांछित सूचना को प्राप्त करने का कौशल दिया जाता है
पाठक शिक्षा के माध्यम से पुस्तकालय में विपणन तकनीकों का क्रियान्वयन किया जाता है
पाठक शिक्षा के माध्यम से पाठक को निम्न विषयों के बारे में बताया जाता है
1. पुस्तकालय की वर्गीकरण प्रणाली
अमुक पुस्तकालय में पुस्तकों के वर्गीकरण के लिए जिस प्रणाली का उपयोग किया गया है तथा अलमारी में पुस्तके किस प्रकार व्यवस्थित हैं इसका ज्ञान पाठक को होना आवश्यक है जिससे वह स्वयं अपनी वांछित पुस्तक निकाल सके|
2.पुस्तकों के रक्षण की व्यवस्था
पुस्तके अलमारियों में किस प्रकार व्यवस्थित हैं पुस्तकों पर लगाए गए लेबल पर कौन सी वर्गीकरण संख्या लिखी है और इस संख्या के अनुसार किस क्रम में पुस्तके अलमारी में व्यवस्थित है यह ज्ञान पाठक को प्रदान किया जाता है|
3. पुस्तकालय की प्रसूची
किस पद्धति से प्रसूचीपत्रक तैयार किए गए हैं उनमें कौन सी सूचना उपलब्ध है और प्रसूची पत्र मंजूषा में किस प्रकार व्यवस्थित किया गया है एवं किस उपागम से वांछित पुस्तक को प्रसूची पत्र में देखा जा सकता है इसका ज्ञान पाठक को कराया जाता है|
पाठक अपनी वांछित लेखक, शीर्षक, विषय, सूक्ष्म-विषय के अनुसार पुस्तक प्रसूची पत्रक में खोज सकता है यह पाठक को बताया जाता है|
कुछ पुस्तकालयों में कंप्यूटराइज प्रसूचीकरण या ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग OPAC है वहां किस प्रकार पाठक अपनी वांछित पुस्तक को खोज सकता है इसका ज्ञान पाठक शिक्षा के अंतर्गत दिया जाता है|
4.पुस्तकों की प्रकृति एवं प्रकार
पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की अध्ययन सामग्री होती है जैसे सामान्य व संदर्भ पुस्तके, प्रतिवेदन,मोनोग्राफ, पंपलेट पीचडी थीसिस,हस्तलिपि,पत्र पत्रिकाएं इत्यादि यह सामग्री पाठक को कहां उपलब्ध होगी और इनका क्या महत्व है पाठक को जानना आवश्यक है जिससे वह इनका उपयोग करके अपनी वांछित अध्ययन सामग्री प्राप्त कर सकें
एनसाइक्लोपीडिया डायरेक्टरी गैजेटियर्स वार्षिकी सेंसस पेटेंट आदि में उपलब्ध सूचना का ज्ञान पाठक को करवाया जाता है |
सूचना के स्रोतों का क्या महत्व है क्या उपयोगिता है सूचना की पुनः प्राप्ति में द्वितीय और तृतीय सूचना स्रोतों की क्या भूमिका है इन के बारे में पाठक को जानकारी दी जाती है जिससे आवश्यकतानुसार इनका प्रयोग कर सकें
5.प्रलेखन सेवाओं का उपयोग-
पुस्तकालय प्रलेखन सेवा प्रदान कर रहे हैं किंतु जानकारी के अभाव से पाठक को इनका लाभ नहीं मिल पाता
इंडेक्स,एब्स्ट्रेक्ट ,बाइबलियोग्राफी, पुस्तक समीक्षा, पुस्तक डाइजेस्ट आदि क्या है इनका उपयोग क्या है इसकी जानकारी पाठक शिक्षा के अंतर्गत दी जाती है|
भारत और विदेश में कौन से डॉक्यूमेंटेशन केंद्र हैं और वहां क्या सेवाएं उपलब्ध है इसका ज्ञान पाठक को करवाया जाता है|
6. पुस्तकालय के उपकरणों का प्रयोग
आधुनिक पुस्तकालय में फोटोकॉपी,बाइंडिंग मशीन ,कटिंग मशीन, वीसीआर ,माइक्रोफिश रीडर प्रिंटर उपकरण उपलब्ध है इनके प्रयोग के बारे में पाठक को बताया जाता है ताकि वे इनका उपयोग कर सकें और कीमती उपकरण खराब नहीं हों|
7. कंप्यूटर संबंधी ज्ञान
पुस्तकालय में क्या-क्या सूचना कंप्यूटर पर उपलब्ध है और वह इंटरनेट या ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग का प्रयोग करके वांछित सूचना प्राप्त कर सकता है इसके बारे में पाठक को अवगत कराया जाता है|
प्रश्न संख्या 8. जीरोग्राफी के लाभों की चर्चा कीजिए
उत्तर-
किसी प्रति लेख की प्रतिलिपि कुछ क्षणों में नाम मात्र व्यय पर तैयार करने के लिए ज़ेरॉक्स या इलेक्ट्रो फैक्स नामक विधि का प्रयोग किया जाता है इसके निम्न उपयोग है
तेजी से कार्य करने के कारण समय व धन की बचत
मूल प्रलय की आकृति में वृद्धि या लघु रूप परिवर्तन की सुविधा
कलर प्रिंटिंग की सुविधा इनके अलावा पारसनाथ के अनुसार निम्न लाभ हैं
कैटलॉग कार्ड के पुन उत्पादन में सहायक
पुस्तक के वांछित पेज की प्रतिलिपि तैयार करने की सुविधा
अंतर पुस्तकालय आदान-प्रदान में सहायक
लिथोग्राफी मुद्रण कार्य में सुविधा
सूक्ष्म प्रति से बड़े आकार की प्रति प्राप्त करने की सुविधा
जीर्ण शीर्ण व पुराने ग्रंथों का उपयोग किया जा सकता है मूल ग्रंथ के स्थान पर फोटोकॉपी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं
बहुमूल्य ग्रंथों के प्रति द्वारा सभी पाठकों को सूचना उपलब्ध करवाई जा सकती है
खोए हुए प्रश्नों को प्रतिलिपि द्वारा रिप्लेस किया जा सकता है
प्रश्न संख्या 9. प्राथमिक एवं द्वितीयक सूचना स्रोतों के अंतर को स्पष्ट करें
प्रश्न संख्या 10 संदर्भ कार्य के कार्यों का वर्णन कीजिए
उत्तर-अधिकांश लेखकों ने संदर्भ सेवा को ही संदर्भ कार्य माना है अत
संदर्भ सेवा या संदर्भ कार्य के कार्य को जानने के लिए क्लिक करे
प्रश्न संख्या 2. रिप्रोग्राफी को परिभाषित कीजिए-Definitions of Reprography
रिप्रोग्राफी शब्द की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों में मतभेद है ।
इस शब्द की उत्पत्ति आंग्ल भाषा के दो शब्दों रिप्रोडक्शन (Reproduction) एवं फोटोग्राफी (Photography) से हुई ।
रिप्रोडक्शन का अर्थ एक अथवा अनेक प्रतियाँ तैयार करना तथा फोटोग्राफी का अर्थ प्रकाश के प्रयोग दवारा सुग्राही कागज प्रति तैयार करना है । इस प्रकार रिप्रोग्राफी का शाब्दिक अर्थ फोटोग्राफी की सहायता से प्रतियों तयार करना होता है ।
सामान्यतः किसी भी प्रलेखकी प्रकाशीय तकनीकों द्वारा लघु या वृहद स्तर पर प्रतिलिपिया बनाने को रिप्रोग्राफि कहते हैं
आजकल अन्य सामान्य विधियों दवारा प्रतियाँ तैयार करना भी संभव है । कुछ विद्वानों दवारा रिप्रोग्राफी की निम्न परिभाषायें उल्लेखनीय हैं|
1. रसायन एवं भौतिक शास्त्र के सिद्धान्तों के प्रयोग से एक या अनेक प्रतियाँ तैयार करने की कला या विज्ञान को रिप्रोग्राफी कहते हैं । -एच.आर.वेरी
2. फोटो प्रतियों व सूक्ष्म आकार की प्रतियों सहित हर प्रकार के प्रलेख की प्रतिकृति तैयार करने की विधियों को संयुक्त रूप से रिप्रोग्राफी की संज्ञा दी जाती है । -जी.टी. पीज
3. हर प्रकार के प्रलेखों की अनुकृति तैयार करने की विधि यथा छाया प्रतियाँ, सूक्ष्माकार प्रतियाँ, नील प्रतियाँ (Blue prints), विद्युतीय प्रतियाँ (Electro coptes), तापीय प्रतियाँ आदि. ही रिप्रोग्राफी है
4.छायांकन अथवा किसी अन्य विधि द्वारा किसी प्रलेख की एक या अनेक प्रतियां तैयार करने की कला रिप्रोग्राफी है- इनसाइक्लोपीडिया ऑफ लाइब्रेरियनशिप
5. रिप्रोग्राफी प्रलेख उत्पाद प्रक्रिया का एक समूह है जिसका उद्देश्य है पूर्व में रचित आलेखीय या संकेतात्मक संदेश को प्रकाशीय या छायांकन की यांत्रिक विधि से पुनः प्रस्तुत करना- एनल बी विनर
प्रश्न संख्या 3. संदर्भ ग्रंथालयी की व्यवसायिक योग्यताओं की चर्चा कीजिए
उत्तर
1.यूजीसी लाइब्रेरी कमेटी की सिफारिश के अनुसार शैक्षणिक योग्यता में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त होनी चाहिए साथ ही व्यवसायीक योग्यता में पुस्तकालय विज्ञान में द्वितीय श्रेणी में स्नातकोत्तर उपाधि होनी चाहिए व वांछनीय योग्यता के रूप में पीएचडी या कुछ अनुभव होने चाहिए|
2. उक्त योग्यताओं में यूजीसी ने समय के हिसाब से थोड़ी बहुत तब्दीली की है एम लिब में कम से कम 55% अंक होने चाहिए इसके साथ यूजीसी की नेट परीक्षा पास होना अति आवश्यक है|
3. व्यापक ज्ञान- संदर्भ पुस्तकालय अध्यक्ष को नियुक्ति के उपरांत भी ज्ञान वृद्धि के लिए तैयार होना चाहिए लगभग हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकों,संदर्भ ग्रंथों का ज्ञान विकसित करना चाहिए व संदर्भ ग्रंथों के बारे में जानकारी हो ताकि वह पाठकों को भी बताने मैं समर्थ हो|
4. संदर्भ साक्षात्कार- संदर्भ पुस्तकालय अध्यक्ष को साक्षात्कार करने में दक्ष होना चाहिए ताकि वह अपने पाठक के हाव भाव को समझ कर उनकी समस्याओं का हल कर सके अंतः व्यक्तित्व संचार से भी परिचित होना आवश्यक है|
5. सूचना प्राप्ति की विधि तथा खोज से भलीभांति परिचित होना चाहिए|
6. वर्गीकरण पद्धति,प्रस्तुतीकरण पद्धति के बारे में ज्ञान हो|
7. पाठकों की विभिन्न सूचना आवश्यक तत्वों का गहन अध्ययन करने की विधि का ज्ञान हो|
8. अध्यापन विधि तथा लेखन कला का ज्ञान हो|
9. कंप्यूटर ज्ञान, डाटाबेस व ऑनलाइन सर्चिंग से भलीभांति परिचित होना आवश्यक है|
प्रश्न संख्या 4. सामूहिक अभिज्ञता सेवा की आवश्यकता की चर्चा कीजिए
उत्तर-
निम्न कारणों से आज बड़े-बड़े सूचना केंद्रों एवं विशिष्ट पुस्तकालयों में सामयिक अभिज्ञता सेवाओं का आयोजन किया जाता है
1.पुस्तकालय, प्रलेखन व सूचना केंद्रों में संग्रहित नवीन सूचना सामग्री के उपयोग के कारण
2. पुस्तकालय के उपयोगकर्ताओं को विषय की नवीनतम जानकारी से अवगत रखने के लिए
3. सूचना के प्रमुख साधन -प्रलेखो के सार्थक उपयोग के लिए
4. पाठकों की सूचना आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
5. शोधकर्ताओं को अपने विषय में अपडेट रखने के लिए
6. शोधकर्ताओं द्वारा विषय की सामग्री को परीक्षण करने की अपेक्षा पुस्तकालय करने की सुविधा प्रदान करने हेतु
7. शोधकर्ताओं के समय की बचत के लिए
8. जो पाठक समय अभाव या कार्यभार के कारण पुस्तकालय में स्वयं निरीक्षण करने के लिए नहीं आ सकते उनके लिए पाठ्य सामग्री के सूचनार्थ
प्रश्न संख्या 5. प्रस्तुत संदर्भ सेवा की प्रकृति का वर्णन कीजिए
उत्तर-
टाइम फैक्टर के आधार पर प्रस्तुत संदर्भ सेवा शीघ्र अति शीघ्र दी जाती है|
रंगनाथन के अनुसार प्रस्तुत संदर्भ सेवा बहुत ही कम समय में या कुछ क्षणों में प्रदान की जाती है |
इसकी सीमा 5 मिनट से लेकर आधे घंटे तक है|
प्रस्तुत संदर्भ सेवा स्रोत के आधार पर पुस्तकालय में उपलब्ध संदर्भ ग्रंथ या पूर्व में दिए गए जवाब की फाइल की सहायता से प्रदान की जाती है|
इस सेवा में ऐसे प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है जिनके उत्तर खोजने में ज्यादा समय नहीं लगता है जैसे पुस्तकालय प्रसूची कहां है या शब्दकोश कहां है या प्रेमचंद की कौन सी किताबें पुस्तकालय में है|
यह सेवा पुस्तकालय केंद्र में पूछताछ केंद्र से प्रदान की जाती है यह केंद्र मुक्त द्वारा आदान-प्रदान विभाग के पास स्थित होता है
प्रश्न संख्या 6. सूचना वैज्ञानिक की भूमिका का वर्णन कीजिए
सूचना वैज्ञानिक के कार्य किसी भी संस्था की ख्याति निर्मित करते हैं| सूचना वैज्ञानिक के प्रमुख कार्य निम्न प्रकार है
1.निर्देशात्मक कार्य
अन्य विभागों से समन्वय रखते हुए सूचनाएं प्रदान करें
अभिलेख सुरक्षित रखना तथा दिन-प्रतिदिन के आंकड़ों से विभाग की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करना
विभाग के अन्य कर्मचारियों को दिशा निर्देश देना तथा सहयोजन करना
सूचना स्रोतों के अधिकतम उपयोग के लिए निर्देश देना
पुस्तकालय में प्रयुक्त वर्गीकरण व प्रस्तुतीकरण पद्धतियों के बारे में पाठकों को बताना और सूचना खोजने के लिए पाठकों की सहायता करना
अंतः पुस्तकालय आदान-प्रदान द्वारा पुस्तकालय से सामग्री प्राप्त कर पाठक की जिज्ञासाओं को शांत करना
2.सूचनात्मक कार्य
लघु व दीर्घकालीन सूचना प्रश्नों को लेखाबध करना तथा उत्तर प्रदान करना
तथ्यात्मक ,प्रश्नों, आंकड़ों, घटनाओं, तथ्यों आदि के बारे में जानकारी देना भी सूचनात्मक कार्य के अंतर्गत आते हैं
3. मार्गदर्शात्मक कार्य-
पाठक को मार्गदर्शन देना भी सूचना वैज्ञानिक का कर्तव्य है जैसे व्यवसाय अध्ययन संबंधी मार्गदर्शन
4. प्रलेखी कार्य-
आयोजित विषय पर वांछित सूचना पर प्रलेखो को एकत्रित करना
5. समीक्षात्मक कार्य-
सूचना विभाग की समीक्षा कर भविष्य के लिए सुधार हेतु योजना बनाना, वार्षिक लेखा-जोखा तैयार करना, पाठकों की अभिरुचि को समझना और उसके आधार पर सूचना सामग्री के संग्रह के लिए कार्यवाही करना
6. अन्य कार्य
सूचना प्रदर्शनी व सामयिक विचारों पर संगोष्ठी आयोजित करने का कार्य
प्रश्न संख्या 7 . पाठकीय शिक्षण की आवश्यकता बताइए
उत्तर-
पाठक शिक्षा का उद्देश्य पाठक को ज्ञान कौशल निपुणता प्रदान करना है ताकि पुस्तकालय के साधन व सेवाओं का अधिक उपयोग कर सकें,पुस्तकालय व पाठक के मध्य दूरी कम हो,पाठक का समय बच सके और उसे पूर्ण संतुष्टि प्राप्त हो इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पाठक को पुस्तकालय में उपलब्ध सामान्य व विशिष्ट सूचना तलाश करना उस काले सेवाओं का प्रयोग करना तथा अध्ययन की विशेष तकनीकों का ज्ञान सिखाया जाता है|
पाठक को कंप्यूटर व इंटरनेट द्वारा संसार के विभिन्न देशों में उपलब्ध सूचना तलाश करना और वांछित सूचना को प्राप्त करने का कौशल दिया जाता है
पाठक शिक्षा के माध्यम से पुस्तकालय में विपणन तकनीकों का क्रियान्वयन किया जाता है
पाठक शिक्षा के माध्यम से पाठक को निम्न विषयों के बारे में बताया जाता है
1. पुस्तकालय की वर्गीकरण प्रणाली
अमुक पुस्तकालय में पुस्तकों के वर्गीकरण के लिए जिस प्रणाली का उपयोग किया गया है तथा अलमारी में पुस्तके किस प्रकार व्यवस्थित हैं इसका ज्ञान पाठक को होना आवश्यक है जिससे वह स्वयं अपनी वांछित पुस्तक निकाल सके|
2.पुस्तकों के रक्षण की व्यवस्था
पुस्तके अलमारियों में किस प्रकार व्यवस्थित हैं पुस्तकों पर लगाए गए लेबल पर कौन सी वर्गीकरण संख्या लिखी है और इस संख्या के अनुसार किस क्रम में पुस्तके अलमारी में व्यवस्थित है यह ज्ञान पाठक को प्रदान किया जाता है|
3. पुस्तकालय की प्रसूची
किस पद्धति से प्रसूचीपत्रक तैयार किए गए हैं उनमें कौन सी सूचना उपलब्ध है और प्रसूची पत्र मंजूषा में किस प्रकार व्यवस्थित किया गया है एवं किस उपागम से वांछित पुस्तक को प्रसूची पत्र में देखा जा सकता है इसका ज्ञान पाठक को कराया जाता है|
पाठक अपनी वांछित लेखक, शीर्षक, विषय, सूक्ष्म-विषय के अनुसार पुस्तक प्रसूची पत्रक में खोज सकता है यह पाठक को बताया जाता है|
कुछ पुस्तकालयों में कंप्यूटराइज प्रसूचीकरण या ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग OPAC है वहां किस प्रकार पाठक अपनी वांछित पुस्तक को खोज सकता है इसका ज्ञान पाठक शिक्षा के अंतर्गत दिया जाता है|
4.पुस्तकों की प्रकृति एवं प्रकार
पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की अध्ययन सामग्री होती है जैसे सामान्य व संदर्भ पुस्तके, प्रतिवेदन,मोनोग्राफ, पंपलेट पीचडी थीसिस,हस्तलिपि,पत्र पत्रिकाएं इत्यादि यह सामग्री पाठक को कहां उपलब्ध होगी और इनका क्या महत्व है पाठक को जानना आवश्यक है जिससे वह इनका उपयोग करके अपनी वांछित अध्ययन सामग्री प्राप्त कर सकें
एनसाइक्लोपीडिया डायरेक्टरी गैजेटियर्स वार्षिकी सेंसस पेटेंट आदि में उपलब्ध सूचना का ज्ञान पाठक को करवाया जाता है |
सूचना के स्रोतों का क्या महत्व है क्या उपयोगिता है सूचना की पुनः प्राप्ति में द्वितीय और तृतीय सूचना स्रोतों की क्या भूमिका है इन के बारे में पाठक को जानकारी दी जाती है जिससे आवश्यकतानुसार इनका प्रयोग कर सकें
5.प्रलेखन सेवाओं का उपयोग-
पुस्तकालय प्रलेखन सेवा प्रदान कर रहे हैं किंतु जानकारी के अभाव से पाठक को इनका लाभ नहीं मिल पाता
इंडेक्स,एब्स्ट्रेक्ट ,बाइबलियोग्राफी, पुस्तक समीक्षा, पुस्तक डाइजेस्ट आदि क्या है इनका उपयोग क्या है इसकी जानकारी पाठक शिक्षा के अंतर्गत दी जाती है|
भारत और विदेश में कौन से डॉक्यूमेंटेशन केंद्र हैं और वहां क्या सेवाएं उपलब्ध है इसका ज्ञान पाठक को करवाया जाता है|
6. पुस्तकालय के उपकरणों का प्रयोग
आधुनिक पुस्तकालय में फोटोकॉपी,बाइंडिंग मशीन ,कटिंग मशीन, वीसीआर ,माइक्रोफिश रीडर प्रिंटर उपकरण उपलब्ध है इनके प्रयोग के बारे में पाठक को बताया जाता है ताकि वे इनका उपयोग कर सकें और कीमती उपकरण खराब नहीं हों|
7. कंप्यूटर संबंधी ज्ञान
पुस्तकालय में क्या-क्या सूचना कंप्यूटर पर उपलब्ध है और वह इंटरनेट या ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग का प्रयोग करके वांछित सूचना प्राप्त कर सकता है इसके बारे में पाठक को अवगत कराया जाता है|
प्रश्न संख्या 8. जीरोग्राफी के लाभों की चर्चा कीजिए
उत्तर-
किसी प्रति लेख की प्रतिलिपि कुछ क्षणों में नाम मात्र व्यय पर तैयार करने के लिए ज़ेरॉक्स या इलेक्ट्रो फैक्स नामक विधि का प्रयोग किया जाता है इसके निम्न उपयोग है
तेजी से कार्य करने के कारण समय व धन की बचत
मूल प्रलय की आकृति में वृद्धि या लघु रूप परिवर्तन की सुविधा
कलर प्रिंटिंग की सुविधा इनके अलावा पारसनाथ के अनुसार निम्न लाभ हैं
कैटलॉग कार्ड के पुन उत्पादन में सहायक
पुस्तक के वांछित पेज की प्रतिलिपि तैयार करने की सुविधा
अंतर पुस्तकालय आदान-प्रदान में सहायक
लिथोग्राफी मुद्रण कार्य में सुविधा
सूक्ष्म प्रति से बड़े आकार की प्रति प्राप्त करने की सुविधा
जीर्ण शीर्ण व पुराने ग्रंथों का उपयोग किया जा सकता है मूल ग्रंथ के स्थान पर फोटोकॉपी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं
बहुमूल्य ग्रंथों के प्रति द्वारा सभी पाठकों को सूचना उपलब्ध करवाई जा सकती है
खोए हुए प्रश्नों को प्रतिलिपि द्वारा रिप्लेस किया जा सकता है
प्रश्न संख्या 9. प्राथमिक एवं द्वितीयक सूचना स्रोतों के अंतर को स्पष्ट करें
उत्तर-अधिकांश लेखकों ने संदर्भ सेवा को ही संदर्भ कार्य माना है अत
संदर्भ सेवा या संदर्भ कार्य के कार्य को जानने के लिए क्लिक करे
प्रश्न संख्या 11 संदर्भ सेवा की विशेषताएं बताइए
उत्तर-
प्रश्न संख्या 12. सारकरण की आवश्यकता की चर्चा कीजिए
उत्तर-
लिखित ज्ञान की मात्रा तेजी से बढ़ रही है और यह लगातार जारी है| पत्रिका,शोध प्रतिवेदन,शोध प्रबंधों आदि प्राथमिक स्रोतों द्वारा ज्ञान का लेखन किया जा रहा है इस स्थिति में शोधकर्ता के लिए यह मुश्किल है कि वह अपने संबंधित विषय के सभी लेखों का अध्ययन कर सकें ऐसी स्थिति में सार तैयार करके शोधकर्ता के समय व श्रम दोनों को बचाया जा सकता है|
सार की आवश्यकता के निम्न कारण है
1.भाषा अवरोध-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में 50 से अधिक भाषाओं में लेख प्रकाशित होते हैं लेकिन पाठक कुछ ही भाषाएं जानता है अतः यदि सभी लेखों के सार शोधकर्ता की भाषा में उपलब्ध हो तो उसे यह सुविधा होगी कि दूसरी भाषा के कौन से लेख अनुवादित होकर उसे मिलने चाहिए
2. चयन की सुविधा-
शोधकर्ता अपने संबंधित विषय के सभी लेखों का अध्ययन नहीं कर सकता लेकिन सार की सहायता से शोधकर्ता को यह सुविधा है कि वह उनमें से कौन से लेखों को पढ़ना चाहता है
3. महत्वपूर्ण सूचनाएं एक स्थान पर उपलब्ध-
मूल प्रलेख की महत्वपूर्ण बातें सूचनात्मक सार में दी जाती है अतः सूचनात्मक सार मूल अभिलेख का विकल्प उपलब्ध कराता है| शोधकर्ता सार की सहायता से सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को सूक्ष्म रूप में प्राप्त कर सकता है|
4. समय की बचत
मूल अभिलेख की अपेक्षा सार द्वारा कम समय में यह निर्णय लिया जा सकता है कि वह अभिलेख उपयुक्त है या नहीं
5. मूल प्रलेख की अपेक्षा सार का सुविधापूर्ण व्यवस्थापन
मूल प्रलेख अधिक बड़ा होने के कारणविषय वर्गों में विभाजित नहीं किया जा सकता जबकि सार को विषय वर्गों में विभाजित किया जा सकता है|
6. व्यवस्थित सार प्रलेख के संगठन में सहायक है
सार प्रलेखो का संगठन करने में,ग्रंथ सूचियों और प्रलेख समीक्षाओं को व्यवस्थित करने में सहायता करते हैं|
7.अनुक्रमणिकरण में सहायक-एक विषय से संबंधित सभी लेखों को एक स्थान पर लाने के लिए सार सहायता करते हैं|
8. पढ़े गए लेखों के चयन में सहायक
शोधकर्ताओं द्वारा पढ़े गए लेखों का चुनाव सार की सहायता से आसानी से किया जा सकता है
9. गतानुदर्शी शोध में सहायक- पुराने लेखों से जानकारी प्राप्त करने में वर्गीकृत और व्यवस्थित सार लाभदायक होते हैं|
प्रश्न संख्या 13 क्विक अनुक्रमणिकरण पद्धति की कमियों का उल्लेख करें
प्रश्न संख्या 14. संकेत सूचक सार एवं सूचनात्मक सार का अंतर को स्पष्ट करें
प्रश्न संख्या 15. बायोलॉजिकल एब्स्ट्रेक्ट का मूल्यांकन कीजिए
प्रश्न संख्या 16. सार के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए
उत्तर
सूचना की मात्रा के आधार सार दो प्रकार के होते हैं-
1.संकेत सूचक सार (Indicative abstract)
2.सूचनात्मक सार (Informative abstract)
1.संकेत सूचक सार (Indicative abstract)
यह सार, पाठक का ध्यान प्रलेख विशेष के की तरफ आकर्षित करता है|संक्षिप्त रूपरेखा होती है, जो मूल प्रलेख की प्रकृति एवं क्षेत्र की और इंगित करती है व प्रलेख में वर्णित विषय के बारे में नहीं बताता, बल्कि मूल प्रलेख में क्या सूचना दी गई है, की तरफ सकेत करता है|पाठक को मूल प्रलेख पढ़ने सम्बन्धी निर्णय में सहायता करता है, किन्तु विस्तृत विवरण एवं सूचना के लिए पाठक को मूल प्रलेख ही देखना पड़ता है। अतः मूल प्रलेख के स्थान पर उपयोग नहीं किया जा सकता है ।
(b) सूचनात्मक सार (Informative Abstract)
सार मूल प्रलेख के केन्द्रीय भाव को पाठक तक पहुँचाता है । इसमें मूल प्रलेख के समस्त महत्वपूर्ण तथ्यों प्रेक्षणों एवं निष्कर्षों की सूचना दी होती है। यह सार कभी-कभी मूल प्रलेख के स्थान पर भी प्रयोग किया जा सकता है । सार की औसतन लम्बाई 200 से 300 शब्दों तक होती है| सूचनात्मक सार की अपेक्षा अधिक विस्तृत होता है ।
संकेत सूचक एवं सूचनात्मक सार में अन्तर
सार के कुछ अन्य प्रकार निम्न है
1आकडेनुमा सार
अर्द्ध-तालिका के रूप में नये प्रयोगात्मक परिणाम सूचित करता है प्रयोग की विधि से सम्बन्धी सूचना भी दी हुई होती है । अमरीका की राष्ट्रीय शोध परिषद ने सर्वप्रथम तैयार किया था व नाभिकीय आंकड़ों के लिए सर्वप्रथम प्रयुक्त किया था।
2.मोड्यूलर विषय-वस्तु विश्लेषण सार :
सारकरण सेवाओं के केन्द्रीयकरण का प्रयास है ।केन्द्रीय संगठन द्वारा निर्मित होता है, जिसे अन्य संस्थाओं में वितरित कर दिया जाता है तथा वे आवश्यकतानुसार रूप देकर अधिक उपयोगी बना कर पाठक को पस्तुत करते हैं इससे विभिन्न सारकरण संगठनों के द्वारा अलग-अलग किये गए बौद्धिक कार्यों की अनावश्यक पुनरावृत्ति रोकी जाती है|विषय विशेषजों के द्वारा बनाया जाता है । निम्न तत्वों को शामिल किया जाता है
3.पाठक अभिमुख सार (User Oriented Abstract) :
मूल लेख में से केन्द्रीय भाव से सम्बन्धित एक वाक्य को सावधानीपूर्वक चयन कर बड़े-बड़े अक्षरों में लिया जाता है यही वाक्य लेख का सार होता है, जो विषय वस्तु की नवीनता की तरफ पाठक का ध्यान आकर्षित करता है। सार आसानी से पठनीय होने के कारण पाठक को सुविधा रहती है ।सार में प्रयुक्त अधिकाश पद अनुकमणीकरण हेतु प्रयोग किये जाते है
4. पद सूची सार (Tem List Abstract)
कंप्यूटर इनपुट के लिए प्रयोग किया जाता है संकेत भाषा में होने के कारण सीधे नहीं पढ़ा जा सकता
मूल अभिलेख केवल कुछ कीवर्ड के द्वारा व्यक्त किया जाता है
शैली के अनुसार सार का वर्गीकरण-वर्णनात्मक रूप में नहीं लिखा जाता है इसको लिखने की एक विशेष शैली होती है शैलीकृत सार के निम्न लाभ है
शैलीकृत सार तीन प्रकार के होते हैं
1. फॉर्मेटेड सार
विभिन्न शीर्षकों के अंतर्गत सूचना एकत्र की जाती है शीर्षक सामान्य होते हैं और निम्न प्रकार के हो सकते हैं
उत्तर-
- पुस्तकालय की पाठ्य सामग्री का उपयोग करने में पाठक को दी गई व्यक्तिगत सेवा
- यह सेवा शीघ्र प्रदान की जाती है
- पाठक के प्रश्नों को समझ कर सही पाठ्य सामग्री देने में सहायक है
- सभी पाठक को समान रूप से सेवा दी जाती है चाहे वह किसी भी उद्देश्य की पूर्ति के लिए आया हो
- आवश्यकता पड़ने पर अन्य पुस्तकालयों की पाठ्य सामग्री का उपयोग करके पाठक को प्रश्न का उत्तर देना या उसे बताना कि संबंधित पाठ्य सामग्री कहां मिलेगी
प्रश्न संख्या 12. सारकरण की आवश्यकता की चर्चा कीजिए
उत्तर-
लिखित ज्ञान की मात्रा तेजी से बढ़ रही है और यह लगातार जारी है| पत्रिका,शोध प्रतिवेदन,शोध प्रबंधों आदि प्राथमिक स्रोतों द्वारा ज्ञान का लेखन किया जा रहा है इस स्थिति में शोधकर्ता के लिए यह मुश्किल है कि वह अपने संबंधित विषय के सभी लेखों का अध्ययन कर सकें ऐसी स्थिति में सार तैयार करके शोधकर्ता के समय व श्रम दोनों को बचाया जा सकता है|
सार की आवश्यकता के निम्न कारण है
1.भाषा अवरोध-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में 50 से अधिक भाषाओं में लेख प्रकाशित होते हैं लेकिन पाठक कुछ ही भाषाएं जानता है अतः यदि सभी लेखों के सार शोधकर्ता की भाषा में उपलब्ध हो तो उसे यह सुविधा होगी कि दूसरी भाषा के कौन से लेख अनुवादित होकर उसे मिलने चाहिए
2. चयन की सुविधा-
शोधकर्ता अपने संबंधित विषय के सभी लेखों का अध्ययन नहीं कर सकता लेकिन सार की सहायता से शोधकर्ता को यह सुविधा है कि वह उनमें से कौन से लेखों को पढ़ना चाहता है
3. महत्वपूर्ण सूचनाएं एक स्थान पर उपलब्ध-
मूल प्रलेख की महत्वपूर्ण बातें सूचनात्मक सार में दी जाती है अतः सूचनात्मक सार मूल अभिलेख का विकल्प उपलब्ध कराता है| शोधकर्ता सार की सहायता से सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को सूक्ष्म रूप में प्राप्त कर सकता है|
4. समय की बचत
मूल अभिलेख की अपेक्षा सार द्वारा कम समय में यह निर्णय लिया जा सकता है कि वह अभिलेख उपयुक्त है या नहीं
5. मूल प्रलेख की अपेक्षा सार का सुविधापूर्ण व्यवस्थापन
मूल प्रलेख अधिक बड़ा होने के कारणविषय वर्गों में विभाजित नहीं किया जा सकता जबकि सार को विषय वर्गों में विभाजित किया जा सकता है|
6. व्यवस्थित सार प्रलेख के संगठन में सहायक है
सार प्रलेखो का संगठन करने में,ग्रंथ सूचियों और प्रलेख समीक्षाओं को व्यवस्थित करने में सहायता करते हैं|
7.अनुक्रमणिकरण में सहायक-एक विषय से संबंधित सभी लेखों को एक स्थान पर लाने के लिए सार सहायता करते हैं|
8. पढ़े गए लेखों के चयन में सहायक
शोधकर्ताओं द्वारा पढ़े गए लेखों का चुनाव सार की सहायता से आसानी से किया जा सकता है
9. गतानुदर्शी शोध में सहायक- पुराने लेखों से जानकारी प्राप्त करने में वर्गीकृत और व्यवस्थित सार लाभदायक होते हैं|
प्रश्न संख्या 13 क्विक अनुक्रमणिकरण पद्धति की कमियों का उल्लेख करें
प्रश्न संख्या 14. संकेत सूचक सार एवं सूचनात्मक सार का अंतर को स्पष्ट करें
प्रश्न संख्या 15. बायोलॉजिकल एब्स्ट्रेक्ट का मूल्यांकन कीजिए
प्रश्न संख्या 16. सार के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए
उत्तर
सूचना की मात्रा के आधार सार दो प्रकार के होते हैं-
1.संकेत सूचक सार (Indicative abstract)
2.सूचनात्मक सार (Informative abstract)
1.संकेत सूचक सार (Indicative abstract)
यह सार, पाठक का ध्यान प्रलेख विशेष के की तरफ आकर्षित करता है|संक्षिप्त रूपरेखा होती है, जो मूल प्रलेख की प्रकृति एवं क्षेत्र की और इंगित करती है व प्रलेख में वर्णित विषय के बारे में नहीं बताता, बल्कि मूल प्रलेख में क्या सूचना दी गई है, की तरफ सकेत करता है|पाठक को मूल प्रलेख पढ़ने सम्बन्धी निर्णय में सहायता करता है, किन्तु विस्तृत विवरण एवं सूचना के लिए पाठक को मूल प्रलेख ही देखना पड़ता है। अतः मूल प्रलेख के स्थान पर उपयोग नहीं किया जा सकता है ।
(b) सूचनात्मक सार (Informative Abstract)
सार मूल प्रलेख के केन्द्रीय भाव को पाठक तक पहुँचाता है । इसमें मूल प्रलेख के समस्त महत्वपूर्ण तथ्यों प्रेक्षणों एवं निष्कर्षों की सूचना दी होती है। यह सार कभी-कभी मूल प्रलेख के स्थान पर भी प्रयोग किया जा सकता है । सार की औसतन लम्बाई 200 से 300 शब्दों तक होती है| सूचनात्मक सार की अपेक्षा अधिक विस्तृत होता है ।
संकेत सूचक एवं सूचनात्मक सार में अन्तर
सार के कुछ अन्य प्रकार निम्न है
1आकडेनुमा सार
अर्द्ध-तालिका के रूप में नये प्रयोगात्मक परिणाम सूचित करता है प्रयोग की विधि से सम्बन्धी सूचना भी दी हुई होती है । अमरीका की राष्ट्रीय शोध परिषद ने सर्वप्रथम तैयार किया था व नाभिकीय आंकड़ों के लिए सर्वप्रथम प्रयुक्त किया था।
2.मोड्यूलर विषय-वस्तु विश्लेषण सार :
सारकरण सेवाओं के केन्द्रीयकरण का प्रयास है ।केन्द्रीय संगठन द्वारा निर्मित होता है, जिसे अन्य संस्थाओं में वितरित कर दिया जाता है तथा वे आवश्यकतानुसार रूप देकर अधिक उपयोगी बना कर पाठक को पस्तुत करते हैं इससे विभिन्न सारकरण संगठनों के द्वारा अलग-अलग किये गए बौद्धिक कार्यों की अनावश्यक पुनरावृत्ति रोकी जाती है|विषय विशेषजों के द्वारा बनाया जाता है । निम्न तत्वों को शामिल किया जाता है
- सम्पूर्ण उदरण (Complete Citation)
- अभिटिप्पणी (Annotation)
- सूचनात्मक सार (Informative abstract)
- आलोचनात्मक सार (Critical abstract)
- संकेत सूचक सार (Indicative abstract)
- मोइयूलर इन्डेक्स एन्ट्रीज (Modular index entries)
3.पाठक अभिमुख सार (User Oriented Abstract) :
मूल लेख में से केन्द्रीय भाव से सम्बन्धित एक वाक्य को सावधानीपूर्वक चयन कर बड़े-बड़े अक्षरों में लिया जाता है यही वाक्य लेख का सार होता है, जो विषय वस्तु की नवीनता की तरफ पाठक का ध्यान आकर्षित करता है। सार आसानी से पठनीय होने के कारण पाठक को सुविधा रहती है ।सार में प्रयुक्त अधिकाश पद अनुकमणीकरण हेतु प्रयोग किये जाते है
4. पद सूची सार (Tem List Abstract)
कंप्यूटर इनपुट के लिए प्रयोग किया जाता है संकेत भाषा में होने के कारण सीधे नहीं पढ़ा जा सकता
मूल अभिलेख केवल कुछ कीवर्ड के द्वारा व्यक्त किया जाता है
शैली के अनुसार सार का वर्गीकरण-वर्णनात्मक रूप में नहीं लिखा जाता है इसको लिखने की एक विशेष शैली होती है शैलीकृत सार के निम्न लाभ है
- सार बनाने में संगति बनी रहती है
- पाठक को समझने में सुविधा होती है
शैलीकृत सार तीन प्रकार के होते हैं
1. फॉर्मेटेड सार
विभिन्न शीर्षकों के अंतर्गत सूचना एकत्र की जाती है शीर्षक सामान्य होते हैं और निम्न प्रकार के हो सकते हैं
- उद्देश्य
- कार्य विधि
- शोध एवं निष्कर्ष
उक्त शीर्षक सारकर्ता के लिए दिशानिर्देश होते हैं इससे सार में महत्वपूर्ण सूचना का समावेश होता है और एक से अधिक सारकर्ता यदि सार बनाते हैं तो उन में समानता बनी रहती है|
विशिष्ट फॉर्मेट होने के कारण सारकर्ता इधर-उधर नहीं भटकता है और सार की मूल प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता और उसका स्वरूप सूचनात्मक या संकेत सूचक ही रहता है केवल लिखने की शैली में बदलाव होता है
2.टेलीग्राफिक सार (Telegraphic Abstract) : अमेरिका की वेस्टर्न रिजर्व यूनीवर्सिटी द्वारा सर्वप्रथम निर्मित सार मूल प्रलेख में उपलब्ध महत्वपूर्ण सूचना संगृहीत करने की एक सुगम विधि है । इसका उद्देश्य मूल प्रलेख की विषय-वस्तु में से महत्वपूर्ण शब्द छांटकर कम्प्यूटर के लिए Input कार्यक्रम बनाना है इस प्रकार के सार मैं निम्नलिखित भाग होते हैं
- मूल प्रलेख में चुने गए महत्वपूर्ण शब्द
- कार्य संकेतक -चुने गए शब्दों में सम्बन्ध स्थापित करते हैं
- विराम चिह्न -शब्दों और कार्य संकेतकों को अलग-अलग समूहों में व्यवस्थित करते हैं ।
टेलीग्राफिक सार उपर्युक्त तत्व से युक्त, कृत्रिम भाषा पर आधारित होते हैं ।
टेलीग्राफिक सार के समय सारकर्ता को निम्नलिखित बातों का ज्ञान होना आवश्यक है
- महत्वपूर्ण शब्दों का ज्ञान तथा उन्हें लिखे जाने की विधि:
- कार्य संकेतकों का निर्धारण करना; तथा
- विराम चिह्नों का सही प्रयोग
3.योजनाबद्ध सार (Schematic Abstract) : इस सार की मूल धारणा भी टेलीग्राफिक सार के समान ही है, किन्तु इस प्रकार के सार के आकार कार्य संकेतकों एवं विराम चिन्हों में सारकर्ता के प्रयोग के अनुसार विभिन्नता रहती है। मूल प्रलेख में वर्णित विभिन्न सम्बन्धों को सही व शीघ्र समझने में कार्य संकेतक सहायता करते हैं ।
प्रश्न संख्या 17 प्रस्तुत संदर्भ सेवा एवं व्याप्त संदर्भ सेवा के अंतर को स्पष्ट करें
उत्तर- प्रस्तुत संदर्भ सेवा और व्याप्त संदर्भ सेवा
प्रश्न संख्या 18 सूचना के महत्व एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
उत्तर
भौतिकवादी युग में सूचना के बिना मनुष्य निरंतर प्रगति नहीं कर सकता देश का आर्थिक व वैज्ञानिक विकास उसके सूचना संसाधन पर निर्भर करता है| जिस देश में सूचना की उपलब्धता शीघ्र व अपडेटेड सूचना हो वह उतनी ही प्रगति करेगा इतिहास इस बात का साक्षी है|
सूचना के रूप में समय के हिसाब से परिवर्तन हुआ है और होता रहेगा कबूतर से सूचना भेजने से लेकर इंटरनेट
तक सही बे अपडेटेड सूचना के लिए अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की गई है
1.स्वाभाविक विशेषताएं- यह सूचनाएं जो स्वाभाविक या व्यवहारिक रूप से प्राप्त होती है| इसकी निम्न विशेषताएं हैं
सारपूर्ण-कम शब्दों में पूरी जानकारी देने में समर्थ जिसके आधार पर निश्चित निर्णय लिया जा सकता है उदाहरण चर्चित पुस्तक या घटना
विश्लेषणशील- सूचना को संग्रहित में विश्लेषण करके सारगर्भित बनाया जा सकता है जैसे जनगणना या मतदान संबंधी सूचना
स्मरण शील- सूचना को याद रख सकते हैं उदाहरण महापुरुषों की जन्म तिथि या पुण्य तिथि
नष्ट वान- सूचना को नष्ट भी किया जा सकता है जैसे कातिल के द्वारा सबूत मिटा देना
प्रसार योग्य- व्यवसाय व्यवसाय की सूचना को अलग-अलग तरीकों से प्रसारित करते रहते हैं
अभिलिखित सूचना- अभिलेखों के रूप में उपलब्ध सूचना जैसे पाषाण ऊपर लिखी हुई सूचना
अनुवाद योग्य- सूचना आयोग भी हो सकती है जैसे प्राचीन समय में अनेक लिपियों में सूचनाएं उपलब्ध है प्रत्येक व्यक्ति के लिए इनको समझना मुश्किल है इसलिए विशेषज्ञों द्वारा इनका अनुवाद करवाया जाता है
परिवर्तनशील- सूचना को समय-समय पर व परिस्थिति के अनुसार नवीनतम सूचना से अपडेट किया जा सकता है
2.पाठक निर्भर विशेषताएं- फाटक पर निर्भर विशेषताएं यह निम्न प्रकार की होती है-
1.मूल्यांकन योग्य- सूचना का मूल्यांकन किया जा सकता है जैसे शोधकर्ता अपने शोध के आंकड़े एकत्रित कर उनका मूल्यांकन कर शोध परिणाम निकालता है
2.व्याख्यान योग्य- ऐसी सूचना जिसकी व्याख्या की जा सकती हो और सिद्धांत में नियमों का प्रतिपादन किया जाता है जैसे न्यूटन के सिद्धांत की व्याख्या
3. गलत सूचना या प्रयोग- सूचना का गलत प्रयोग भी किया जा सकता है जैसे अफवाह
3.अन्य विशेषताएं- गतिशीलता, मुख्य रूप से सारांश तथा व्यवहारों से संबंधित
प्रश्न संख्या 19 सूचना के प्राथमिक स्रोतों के बारे में बताइए
प्रश्न संख्या 20 सूचना के तृतीय स्रोत की परिभाषा दीजिए
प्रश्न संख्या 21. अनुक्रमणिकरण की परिभाषा दीजिए
प्रश्न संख्या 22. अच्छे सार के गुणों का वर्णन कीजिए
उत्तर
रंगनाथन के अनुसार उच्च स्तरीय सार की निम्न विशेषताएं होती है
नवीन विचारों के बारे में बताएं
वर्णित विषय की सीमाओं के बारे में बताएं
नए उपकरण रेखाचित्र या अन्य सहायक सामग्री के बारे में बताएं
नवीन तथ्यात्मक आंकड़ों को उजागर करें
संबंधित लेख से संबंध स्थापित करता हो
सार का उद्देश्य है प्रलेख कि अधिक से अधिक सूचना को कम से कम शब्दों में बताना
अच्छे सार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
1. सार की विश्वसनीयता-सार बनाने में सार संबंधी सभी नियमों का पालन आवश्यक है अतः सार कर्ता को सभी तकनीकों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए इससे सार की विश्वसनीयता बढ़ती है|
2.मूल लेख के प्रकाशन के तुरंत पश्चात प्रकाशित सार अत्यधिक उपयोगी होता है|
3. सार करण पत्रिका का मूल्य कम होना चाहिए
4. सार गतानुदर्शी खोज में सहायक है
5. मूल प्रलेख की महत्वपूर्ण बातों को समाहित करने वाले सार अधिक उपयोगी होते हैं|
6. सार बनाने के लिए उत्कृष्ट वर्गीकरण पद्धति का प्रयोग हो
7. सार संक्षिप्त होना चाहिए
8. सार के संपादन व प्रकाशन में कोई गलती ना हो
प्रश्न संख्या 23. रिप्रोग्राफी के उपयोग की चर्चा कीजिए
उत्तर-
रिप्रोग्राफी पाठको को उनकी अभीष्ट पाठ्यसामग्री की तत्काल उपलब्धि एवं उसकी पूर्व सुरक्षा आदि का समाधान कर पाठकीय जिज्ञासाओं को पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करती है ।
रिप्रोग्राफी की सीमित साधनों द्वारा साहित्य की असीमित माँग की पूर्ति करती है।
रिप्रोग्राफी अनुसंधानकर्ताओं को उस साहित्य के सम्पर्क में लाती है, जो कि स्थान की दूरी या अन्य किसी कारणवश उन्हें किसी अन्य स्वरूप में उपलब्ध नहीं हो पाता।
पुस्तकालयों में रेप्रोग्राफी के निम्नउपयोग हैं
1. प्रतिलिपीकरण में सुगमता-
किसी पाठ्य सामग्री की अनुकृति तैयार करने सहायता प्रदान करती है ।
2.अल्पावधि में सुगमता से अधिकाधिक प्रतियों की प्राप्ति-
यह मूल प्रलेख की समस्त विषय वस्तु, चाहे वह किसी भी भाषा अथवा रूप में हो (जैसे-चित्र, मानचित्र, तालिका, बिन्दु चित्र आदि) की अधिकाधिक अनुकृतियाँ अल्पावधि में प्रदान करने में सहायकहोती है ।
3. मितव्ययिता-
रिप्रोग्राफी, पाठ्य-सामग्री उपलब्ध कराने में मितव्ययी है, क्योंकि प्रति तैयार करने में हमें न तो पुनर्लेखन व पुनर्टकण करना पड़ता है और न ही पुनर्चित्र निर्माण । आर्थिक रूप से कम खर्चीली विधि है ।
4. प्रेषण में सुगमता-तैयार की जाने वाली प्रति के आकार को आवश्यकतानुसार छोटा किया जा सकता है । अतः आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित रूप से प्रेषित किया जा सकता है ।
5.मूल प्रलेख को दीर्घ अवधि तक सुरक्षित रखने में सहायता-
रेपोग्राफी की उचित विधि से प्रति तैयार करने से मूल प्रलेख स्थाई रूप से प्रेषित किया जा सकता है
6.स्थान की बचत- रिप्रोग्राफी विधि से मूल प्रलेख की अपेक्षा प्रति को सूक्ष्म रूप प्रदान किया जाता है जो मूल प्रलेख की अपेक्षा बहुत कम स्थान घेरती है
7. अंतः पुस्तकालय आदान में सहायक- रिप्रोग्राफी विधि से तैयार प्रतिलिपि अंतर पुस्तकालय आदान हेतु भेजी जा सकती हैं मूल प्रलेख के खोने का डर नहीं रहता डाक व्ययभी नहीं होता
प्रश्न संख्या 24. पुस्तकालयों में संदर्भ सेवा की आवश्यकता की चर्चा कीजिए
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