इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना



इन्दिरा गाँधी नहर  परियोजना  

  1. राजस्थान की मरूगंगा' कहलाने वाली I.GN, परियोजना विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है। (संभावित सिंचाई क्षमता 19 लाख हैक्टेयर)
  2. इंदिरा गाँधी नहर परियोजना का नाम प्रारम्भिक 'राजस्थान नहर' था जिसे 3 नवम्बर, 1984 को देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के नाम पर इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना (I.G.N.P.) नाम दिया गया। इसका मुख्यालय (I.G.N.बोर्ड), जयपुर में है।
  3. 'बीकानेर राज्य में पानी की आवश्यकताएँ' नाम से एक लेख सन् 1948 में तत्कालीन बीकानेर रियासत के प्रमुख तत्कालीन इंजीनियर श्री कैवर सेन द्वारा लिखा गया जिसमें राजस्थान नहर (इंदिरा गाँधी नहर) की रूप रेखा बनाई गयी। इसीलिये श्री कँवर सेन को इस नहर का जनक माना जाता है।
  4. इस परियोजना का शिलान्यास 31 मार्च, 1958 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री पं. गोविन्दवल्लभ पंत ने किया। नहर में सर्वप्रथम पानी 11 अक्टूबर, 1961 को भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने नौरंग देसर (हनुमानगढ़) से प्रवाहित किया।
  5. पंजाब में फिरोजपुर के निकट सतलज व व्यास नदियों के संगम पर हरिक बैराज बनाकर राजस्थान फील्डर निकाली गई है। जो IGN.P. मुख्य नहर को जलापूर्ति करती है।
  6. I.G.N.P. नहर की कुल सिंचाई 30% भाग लिफ्ट नहरों से तथा 70% शाखाओं के माध्यम से होता है। I.G.N.P. के द्वारा राज्य के आठ श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, जैसलमेर एवं बाड़मेर में सिंचाई हो रही है  इनमें से सर्वाधिक कुमाण्ड क्षेत्र क्रमशः जैसलमेर एवं बीकानेर जिलों का है। 
  7. इन्दिरा गाँधी मुख्य नहर-राजस्थान में मसीतावाली हैड (हनुमानगढ़) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक 445 कि.मी. लम्बी जो हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर एवं जैसलमेर चार जिलों से होकर गुजरती है। 
  8. इंदिरा गाँधी नहर के कमाण्ड क्षेत्र का ढाल दक्षिण-पूर्व उत्तर पश्चिम की ओर है, अत इस परियोजना की सभी सात लिफ्ट नहरें मुख्य नहर के तरफ निकाली गई है।
  9. रावी-व्यास जल विवाद हेतु गठित इराडी आयोग ( 1986 ) के फैसले से राजस्थान को प्राप्त कुल 8.6 MAF जल में से 7.59 MAF जल का उपयोग I.G.N.P. के माध्यम से किया जायेगा। नहर पाकिस्तान की सीमा के समानान्तर 40 कि.मी. की औसत दूरी पर स्थित है।
  10. राजस्थान फीडर हरिके बैराज से मसीतावाली हैड (हनुमानगढ़)  तक 204 कि.मी. लम्बी है जो मुख्य नहर को जलापूर्ति करती है, यह फीडर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान तीन राज्यों से गुजरती है।


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