भारत में महिलाएं और मानसिक स्वास्थ्य - एक संक्षिप्त विवरण




मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों के संबंध में लिंग एक महत्वपूर्ण निर्धारक है मनोवैज्ञानिक विकारों का जो साइकोलॉजिकल पैटर्न महिलाओं में पुरुषों से भिन्न है| महिलाएं आंतरिक विकारों से ज्यादा ग्रसित होती हैं जबकि पुरुष बाह्य विकारों से|

एकल परिवारों से आने वाली लड़कियां और औरतें जिनकी शादी जल्दी उम्र में हो जाती है वह आत्महत्या या स्वयं को चोट पहुंचाना जैसे विकारों से अधिक ग्रसित होती हैं

महिलाओं में मानसिक विकार होने के लिए सामाजिक कारण ज्यादा उत्तरदायीहै| महिलाओं की दृष्टि से अस्पतालों में भी संसाधनों का अभाव है इसी कारण महिलाएं अस्पतालों में कम जाना पसंद करती हैं| भारत में दो तिहाई महिलाएं घरेलू हिंसा से ग्रसित है|

 हालांकि सामाजिक -राजनीतिक -आर्थिक और कानूनी स्तर पर भारतीय महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं|

 महिला व पुरुष न केवल शारीरिक रूप से  अपितु मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी भिन्नताए रखते हैं| यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि महिला और पुरुषों के  मस्तिष्क की संरचना अलग अलग है और महिलाओं के किसी भी घटना या परिस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया देने का तरीका पुरुषों से अलग है|

प्रागैतिहासिक संस्कृति से लेकर आधुनिक सभ्यता में महिला व पुरुष के कार्यों में जो विभाजन रहा है उसकी चर्चा यहां करना बहुत आवश्यक है| जब मानव शिकार करता था महिलाएं सामान्यतः फल फूल एकत्रित करना छोटे जानवरों को खाना खिलाना मछली पालन करना पशु पालन करना  इत्यादि कामों में व्यस्त रहती थी जबकि पुरुष बड़े जानवरों का शिकार करते थे

परंतु हाल ही के वर्षों में महिलाओं की भूमिका में अत्यधिक परिवर्तन आया है पारंपरिक रूप से मध्यमवर्गीय महिलाएं घरेलू कार्य में व्यस्त रहती थी वह बच्चों की देखभाल करती थी लेकिन गरीब महिलाओं की आर्थिक स्थिति ने उन्हें घर के बाहर काम ढूंढने के लिए मजबूर किया  लेकिन वहां भी उन को दिए जाने वाले वेतन में विभिन्नता थी उन्हें पुरुषों से कम वेतन मिलता है|

 लेकिन यहां ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं जो घर से बाहर काम करने जाती हैं उन्हें घरेलू कार्यों की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया गया है और सामाजिक स्थिति में भी कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है|

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 41% महिलाएं तनाव ग्रसित हैं जबकि केवल 30% पुरुष ही डिप्रेसिव डिसऑर्डर से ग्रसित हैं 


भारत का भौतिक स्वरूप या इंडियन फिजियोग्राफी- भाग 1

 



 

 हमारे देश में हर प्रकृति की भू-आकृति पायी जाती है  जैसे-

पर्वत –मैदान- मरुस्थल- पठार- द्वीपसमूह

मृदा का रंग व शैल का प्रकार  में भिन्नता पायी जाती है|

 भारत एक विशाल भूभाग है जिसका निर्माण विभिन्न भूगर्भीय कालों के दौरान हुए  परिवर्तन जिसने इसके उच्चवचो  को प्रभावित किया और  भूगर्भीय निर्माणों के अतिरिक्त अन्य प्रक्रियाएं जैसे अपरदन व  निक्षेपण के द्वारा वर्तमान उच्चावच का निर्माण तथा संशोधन हुआ है|

 

 कुछ प्रमाणों पर आधारित सिद्धांतों की सहायता से भूगर्भ शास्त्रियों ने इन भौतिक आकृतियों के निर्माण की व्याख्या करने का प्रयास किया है इसी तरह का एक सिद्धांत प्लेट टेक्टोनिक्स का सिद्धांत है इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी पर्पटी  सात बड़ी व कुछ छोटी प्लेट से बनी है|

 

प्लेटो की गति के कारण प्लेटों के अंदर एवं ऊपर की ओर स्थित महाद्वीपीय शैलो में दबाव उत्पन्न होता है इसके परिणाम स्वरूप वलन भ्रंशन व ज्वालामुखी क्रियाएं होती हैं|

 

सामान्यतः प्लेट तीन प्रकार की गति प्रदर्शित करती हैं  प्लेट टकराकर टूट सकती है या एक प्लेट फिसल कर दूसरी के नीचे जा सकती है|

 

 अभिसारी परिसीमा   →←

 अपसारी परिसीमा    ← →

रूपांतर परिसीमा       ↑↓

 

सात प्लेट निम्न प्रकार है 

1.     यूरेशियन प्लेट 

2.     indo-australian प्लेट 

3.     अफ्रीकी प्लेट 

4.     दक्षिण अमेरिकी प्लेट 

5.     उत्तर अमेरिकी प्लेट 

6.     प्रशांत महासागरीय प्लेट 

7.     अंटार्कटिक प्लेट

 

प्लेट की गति से क्या प्रभाव पड़ता है?

 

·       इन प्लेटो में लाखों वर्षों से हो रही गति के कारण महाद्वीपों की स्थिति तथा आकार में परिवर्तन आया है|

·       भारत की वर्तमान स्थलाकृति का विकास भी इस प्रकार की   गति से प्रभावित हुआ है|

·       विश्व के अधिकतर ज्वालामुखी एवं भूकंप  संभावित क्षेत्र  प्लेट के किनारों पर स्थित है  लेकिन कुछ क्षेत्र प्लेट के अंदर भी पाए जाते हैं|

 

सबसे प्राचीन भूभाग प्रायद्वीपीय भाग गोंडवाना भूमि का हिस्सा था

गोंडवाना भूमि प्राचीन विशाल महाद्वीप पंजिया  का दक्षिणतम भाग है

पंजिया महाद्वीप का उत्तरी भाग अंगारलैंड है

गोंडवाना भूभाग के विशाल क्षेत्र में भारत ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका दक्षिण अमेरिका अंटार्कटिका  क्षेत्र आते हैं

 

हिमालय की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?

 

 संवहनी धाराओं ने भूपर्पटी को अनेक टुकड़ों में विभाजित कर दिया  इस प्रकार भारत-ऑस्ट्रेलिया की प्लेट गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने लगी परिणाम स्वरुप अपने से अधिक विशाल प्लेट यूरेशियन प्लेट  से टकराई इस टकराव के कारण दोनों प्लेटों के बीच स्थित  टेथिस भूअभिनति के अवसादी चट्टान वलित होकर हिमालय तथा पश्चिमी एशिया की पर्वतीय श्रृंखला के रूप में विकसित हो गए 

 

टेथिस  के ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी किनारों के नीचे धंसने के कारण बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ समय के साथ-साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों तथा दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठार से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेप द्वारा धीरे-धीरे भर गया और जलोढ़ निक्षेप से निर्मित विस्तृत समतल भूभाग उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया|

 

 प्रायद्वीपीय पठार  स्थिर भाग माना जाता था परंतु हाल के भूकंप से गलत साबित हुआ है|

हिमालय एवं उत्तरी मैदान हाल में बनी स्थलआकृतियां हैं जिनमें ऊंचे शिखर,गहरी घाटियां,तेज बहने वाली नदियां है

 जबकि प्रायद्वीपीय पठार  आग्नेय व रूपांतरित शैल वाली ऊंची पहाड़ियों व चौड़ी घाटियों से बना है 

असंगठित चट्टान वास्तव में मिट्टी हैवर्तमान अनुमान के अनुसार पृथ्वी की आयु 4.6  अरब  वर्ष पूर्व है इतने लंबे समय में अंतरजात बहिर्जात बलों से अनेक परिवर्तन हुए हैं इन बलों की पृथ्वी के धरातलीय व अधस्थलीयआकृतियों की रूपरेखा निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है|

 

 इंडियन प्लेट भूमध्य रेखा के दक्षिण में स्थित थी  जो आकार में काफी विशाल  थी और ऑस्ट्रेलियन प्लेट इसी का हिस्सा थी  लेकिन करोड़ों वर्षों के दौरान यह प्लेट काफी समय टूट गई ऑस्ट्रेलियन प्लेट दक्षिण पूर्व में व  इंडियन प्लेट उत्तर दिशा में खिसकने लगी|

 

·       सवाल यह है क्या आप इंडियन प्लेट के खिसकने की अवस्थाओं को रेखांकित कर सकते हैं?

 

·       इंडियन प्लेट का खिसकना अभी भी जारी है इसका भौतिक पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव है क्या आप इंडियन प्लेट के उत्तर में खिसकने के परिणामों का अनुमान लगा सकते हैं?

 

भूवैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर तीन भूवैज्ञानिक खंड जो भौतिक लक्षणों पर आधारित हैं निम्न प्रकार है

1.     प्रायद्वीपीय खंड 

2.     हिमालय व अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाएं 

3.     सिंधु -गंगा- ब्रह्मपुत्र मैदान

 

 

 

१.प्रायद्वीपीय खंड

 

·       उत्तरी सीमा कटी फटी है जो कच्छ  से आरंभ होकर अरावली पहाड़ियों के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक फिर गंगा यमुना के समानांतर राजमहल की पहाड़ियों व गंगा डेल्टा तक जाती है|

·       इसके अतिरिक्त उत्तर पूर्वी भाग में कार्बी आंगलोंग (असम)  व मेघालय का पठार तथा पश्चिम में राजस्थान भी इस खंड के विस्तार हैं

·       पश्चिम बंगाल में मालदा भ्रंश  है जो उत्तर पूर्वी भाग में स्थित मेघालय के पठार व कार्बी आंगलोंग पठार को छोटा नागपुर पठार से अलग करता है|

·       राजस्थान में यह प्रायद्वीपीय खंड मरुस्थल व मरुस्थल सदृश्य स्थलाकृतियों से ढका हुआ है|

·       प्रायद्वीपीय पठार मुख्यतः प्राचीन नीस व ग्रेनाइट चट्टानों से बना है|

·       कैंब्रियन कल्प से यह भूखंड एक कठोर खंड के रूप में खड़ा है  अपवाद स्वरूप पश्चिमी तट समुद्र में डूबा होने के कारण और कुछ हिस्से विवर्तनिकी क्रियाओं से परिवर्तित होने के बाद भी इस भूखंड के वास्तविक आधारतल पर प्रभाव नहीं पड़ा है|

·       indo-australian प्लेट का हिस्सा होने के कारण यह ऊर्ध्वाधर हलचलो  व खंड  भ्रंश से प्रभावित है

·       नर्मदा तापी महानदी  की रिफ्ट घाटियां और सतपुड़ा ब्लॉक पर्वत इसके उदाहरण है|

·       प्रायद्वीप में मुख्यतः अवशिष्ट पहाड़ियां शामिल है जैसे अरावली ,नल्ला मल्ला ,जावदी ,वेलीकोंडा ,पालकोंडा श्रेणी और महेंद्रगिरी पहाड़ियां |

·       यहां की नदी घटिया उथली हुई  है और उनकी प्रवणता कम है

 

Q.क्या हम हिमालय से निकलने वाली तथा प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवणता ज्ञात करके उनकी तुलना कर सकते हैं?

 

पूर्व की ओर बहने वाली अधिकांश नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले डेल्टा निर्माण करती हैं महानदी गोदावरी कृष्णा द्वारा निर्मित डेल्टा इसके उदाहरण है|

 

हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाएं

 

१.कठोर व स्थिर प्रायद्वीपीय खंड के विपरीत हिमालय और अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वत मालाओं की भूवैज्ञानिक संरचना तरुण दुर्बल लचीली है और यह पर्वतमाला वर्तमान समय में बहिरजनिक व  अंतर जनित बलों की अंतः क्रियाओं से प्रभावित है इसके परिणाम स्वरूप इनमें वलन भ्रंश और थ्रस्ट बनते है|

 २.तेज बहाव वाली नदियों से अपरदित  यह पर्वत अभी भी युवावस्था में है  गार्ज , V आकार की घाटियां ,शिप्रिकाए, जलप्रपात इत्यादि इसका प्रमाण है|

 

 

सिंधु - गंगा - ब्रह्मपुत्र मैदान-

 

सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र मैदान मूल रूप से भू-अभिनति  गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण-प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था तब से हिमालय व प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियां अपने साथ लाए हुए अवसाद से इस मैदान को पाट रही है जलोढ़ की औसत गहराई 1000 से 2000 मीटर है|

 

भू-वैज्ञानिक संरचना में अंतर के कारण धरातल व  भू-आकृति पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है|

 

 दक्षिण भारत स्थिर पर कटा-फटा पठार है जहां पर चट्टान-खंड और कगारो की भरमार है|

 

 

 

 

 

 

मोटे तौर पर निम्न प्रकार के भू-आकृति खंड भारत में है-

1.     उत्तर व उत्तर-पूर्वी पर्वतमाला

2.      उत्तरी भारत का मैदान 

3.     प्रायद्वीपीय पठार

4.      भारतीय मरुस्थल 

5.     तटीय मैदान 

6.     द्वीप समूह

 

भारत एवं विश्व-भारत की भौगोलिक स्थिति क्या है और इसके क्या लाभ हैं?

 


भारत की भौगोलिक स्थिति किस प्रकार फायदेमंद है विश्व के अन्य देशों से जुड़ने के लिए व्यापार के लिए या भारत की भौगोलिक स्थिति क्या है और इसके क्या फायदे हैं?

 

एशिया महाद्वीप में पूर्व व पश्चिम के मध्य स्थित है|

भारतीय भूभाग एशिया महाद्वीप का दक्षिण विस्तार है|

भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण मध्य भाग में स्थित है

हिंद महासागर केंद्रीय स्थिति प्रदान करता है|

पश्चिम में यूरोपीय देश है जबकि पूर्व में पूर्वी एशियाई देश

दक्षिण का पठार हिंद महासागर में  शीर्षवत फैला हुआ है

प्रायद्वीपीय भारत की स्थिति की वजह से समुद्री में वायु मार्ग द्वारा अपने पड़ोसी क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है

 

भारत पश्चिम-एशिया,अफ्रीका, यूरोप के देशों के साथ-साथ पूर्व-एशिया के देशों से भी पूर्वी तट के माध्यम से  निकटतम संबंध बनाए हुए हैं|

 

हिंद महासागर में किसी भी देश की तटीय  सीमा भारत जैसी नहीं है इस महत्वपूर्ण स्थिति के कारण एक महासागर का नाम इसके नाम पर रखा गया है|

सन 1869  में स्वेज नहर खुलने से भारत व  यूरोप के बीच की दूरी 7000 किलोमीटर कम रह गई

 

भारत का विश्व के देशों के साथ संपर्क युगो पुराना था जो जल-मार्गों की अपेक्षा भू-भागों से था जैसे उत्तरी-पर्वतों के दरों से अनेक यात्री प्राचीनकाल में भारत आए जबकि समुद्री मार्ग बहुत लंबे समय तक ज्ञात नहीं के प्राचीन समय से विचारों व वस्तुओं का आदान प्रदान होता रहा और भारत का पश्चिम, मध्य पूर्वी एशिया,दक्षिण-एशिया के पड़ोसी देशों के साथ अद्भुत संपर्क रहा है|

मसाले और मलमल के कपड़े भारत से विभिन्न देशों को ले जाए जाते थे इसके विपरीत यूनानी स्थापत्य कला तथा पश्चिमी एशिया का वास्तुकला  के प्रतीक जैसे मीनार तथा गुंबद का प्रभाव देश के विभिन्न भागों पर देखा गया है|






भारत और उसके पड़ोसी देश

 

भारत की भूमि की सीमाएं उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान अफ़गानिस्तान

उत्तर में चीन ,तिब्बत, नेपाल, भूटान

पूर्व में म्यांमार, बांग्लादेश

 

श्रीलंका और मालदीव हिंद महासागर में स्थित भारत के  दो पड़ोसी द्वीपीय देश है|

श्रीलंका भारत से मन्नार की खाड़ी और पाक जलसंधि द्वारा अलग हुआ है|

मालद्वीप लक्षद्वीप समूह { कवरत्ती-लक्षद्वीप } के दक्षिण में स्थित है|

 

खाड़ी व जलसंधि में क्या अंतर है?



खंभात की खाड़ी

 

क्या आज के युग में भौतिक दूरी पड़ोसी देशों से अंतः क्रिया करने में बाधक हैहमने किस प्रकार भौतिक दूरियों द्वारा पैदा किए गए यात्रा के घर्षण को तटस्थ किया है?

 

पश्चिमी तट पर केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव, दादर नगर हवेली

पूर्वी तट पर केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, कोडाईकनालयानम

 

 

हिंद महासागर में भारत की केंद्रीय स्थिति से इसे किस प्रकार लाभ हुआ है?

 

रेशम मार्ग के बारे में जानकारी व किन नई विकास योजनाओं द्वारा उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में आवागमन के मार्ग विकसित किए गए हैं?

 

क्या भारत में एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है? यदि हां तो आप ऐसा क्यों सोचते हैं?

 

भारत की लंबी तटरेखा के क्या प्रभाव है?

देशांतरीय  फैलाव किस प्रकार लाभप्रद है?

राज्य के क्षेत्रफल व जिलों के बीच संबंध?

तटीय सीमा से संलग्न राज्य?

पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्य?

तटवर्ती केंद्र शासित प्रदेश?

एनसीआर दिल्ली तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल में जनसंख्या में अंतर की व्याख्या किस प्रकार की जा सकती है?

 

मैक मोहन रेखा भारत और चीन के मध्य स्थित है-  1914 शिमला समझौता

रेडक्लिफ रेखा भारत व पाक के मध्य स्थित है - 15 अगस्त 1947

भारत और म्यांमार के बीच लुशाई,पटकोई, अराकान आदि श्रेणियां प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करती है|

 

कृषि योग्य भूमि की दृष्टि से संसार में यूएसए प्रथम स्थान पर तथा भारत द्वितीय स्थान पर है

भारत की स्थलीय सीमा 7 देशों से लगती है उनमें पाक अफगान चीन नेपाल भूटान म्यांमार बांग्लादेश

पूर्व में बांग्लादेश के साथ 4096 KM

उत्तर में चीन-3917 KM

अफगान-80 KM

उत्तर पश्चिम में पाकिस्तान-3310 KM

नेपाल-1752 KM

म्यांमार-1458 KM

मुख्य भूमि की तटीय लंबाई 6100 किलोमीटर

भारत की जलीय सीमा 5 देशों से लगती है- पाकिस्तान, श्रीलंका ,मालद्वीप ,बांग्लादेश , म्यांमार

 

सिर्फ स्थलीय सीमा लगने वाले देश- चीन नेपाल भूटान अफगानिस्तान

सिर्फ जलीय सीमा मालद्वीप श्रीलंका

स्थलीय में जलीय दोनों सीमाएं पाकिस्तान बांग्लादेश व म्यांमार से लगती है

 

इंदिरा पॉइंट- निकोबार दीप समूह में स्थित है जिसे पहले पिगमालियन पॉइंट कहा जाता था यह सबसे दक्षिणी बिंदु है

सबसे उत्तरी बिंदु इंदिरा कॉल जम्मू कश्मीर में स्थित है

पश्चिमी बिंदु सरक्रीक गुजरात में

पूर्वी बिंदु वालंगू अरुणाचल में

कोलाबा पॉइंट -मुंबई

कालीमेर प्वाइंट -तमिलनाडु

 

दूसरा निकटतम समुद्री पड़ोसी   देश इंडोनेशिया ग्रेट निकोबार के दक्षिण में स्थित है|

 

सबसे लंबी तट रेखा गुजरात राज्य से लगती है 1200 किलोमीटर उसके बाद द्वितीय स्थान पर आंध्रप्रदेश है|

9 राज्य तटरेखा से लगते हैं|

 

 

भारत और चीन की सीमा से लगने वाले राज्य

जम्मू-कश्मीर

हिमाचल प्रदेश

उत्तराखंड

सिक्किम

अरुणाचल प्रदेश

भारत और पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले राज्य-

जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात

 

भारत और बांग्लादेश-  मिजोरम त्रिपुरा मेघालय आसाम पश्चिम बंगाल

भारत और  म्यांमार- आंध्र प्रदेश नागालैंड मणिपुर मिजोरम

इस प्रकार कुल 17 राज्य पड़ोसी देशों की सीमा से लगते हैं

त्रिपुरा तीन ओर से बांग्लादेश से घिरा हुआ है|

 

पड़ोसी देशों  की सीमा से लगा हुआ सबसे लंबा  संबंधित राज्य

बांग्लादेश- पश्चिम बंगाल

पाकिस्तान राजस्थान

चाइना जम्मू-कश्मीर

अफगानिस्तान -जम्मू कश्मीर

भूटान - असम

नेपाल -बिहार

म्यांमार- मिजोरम

 

हरियाणा, दिल्ली ,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ यह चार राज्य किसी भी प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय सीमा या समुद्री तट से नहीं लगते हैं|

 

सन 1947 से पूर्व दो प्रकार के राज्य हुआ करते थे प्रांत और रियासत वॉयसराय द्वारा नियुक्त अंग्रेज अधिकारी प्रांतों पर शासन करते थे जबकि रियासतों का शासन स्थानीय शासकों द्वारा पात्रता के आधार पर अंग्रेज शासकों की प्रभुसत्ता मानकर स्वायत्तता से किया जाता था|

 

भारत में महिलाएं और मानसिक स्वास्थ्य - एक संक्षिप्त विवरण

मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों के संबंध में लिंग एक महत्वपूर्ण निर्धारक है मनोवैज्ञानिक विकारों का जो साइकोलॉजिकल पैटर्न महिलाओं में पुरुषों ...